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संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है -राजमाता आशा भारती

राकेश वालिया

हरिद्वार, 10 फरवरी। निराला धाम की अध्यक्ष राजमाता आशा भारती महाराज ने कहा है कि शिव स्वरूप संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है। संत अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। संतों के सत्संग में ज्ञान की प्राप्ति होती है। साधना ऐसी शक्ति है जो साधक का भगवान से मिलन कराती है। भूपतवाला स्थित निराला धाम आश्रम में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी लहरी बाबा महाराज के श्रद्धांजलि समारोह में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन निराला स्वामी लहरी बाबा महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में सदैव मानव सेवा का संदेश देकर समाज को जागृत किया। सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए उन्होंने सदैव ही भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर संत सेवा की प्रेरणा दी। राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रवि देव शास्त्री महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी लहरी बाबा तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने विश्व कल्याण के लिए निराला धाम की पावन धरा पर 41 दिवसीय शिवशक्ति महायज्ञ का आयोजन कर समाज कल्याण की कामना की। गो एवं गंगा संरक्षण उनके जीवन का मूल उद्देश्य था। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि महापुरुषों ने समाज को सदैव नई दिशा प्रदान की है। ब्रह्मलीन स्वामी लहरी बाबा एक दिव्य महापुरुष थे। उनके द्वारा गंगा तट से चलाए गए सेवा प्रकल्पों में राजमाता आशा भारती महाराज प्रतिदिन बढ़ोतरी कर उनके अधूरे कार्य को पूर्ण कर रही हैं और उनके कृपा पात्र शिष्य स्वामी नित्यानंद महाराज उनके आदर्शो को अपनाकर संतों की सेवा में अपना योगदान दे रहे है। गुरु शिष्य परंपरा ही भारत को पूरे विश्व में महान बनाती है। इस दौरान स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी राजेंद्रदानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत प्रहलाद दास, स्वामी जगदीशानंद गिरी, स्वामी चिदविलासानंद, महंत दुर्गादास, महंत सुमित दास, महंत श्रवण मुनि, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत जमुना दास, महंत भजोराम दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत राजेंद्रदास, महंत ज्ञानानंद, संत जगजीत सिंह, महंत सूरज दास, स्वामी दिनेश दास आदि सहित अनेक संत मौजूद रहे।

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