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आपदा प्रभावितों को अधिक से अधिक सहायता दे सरकार-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

राकेश वालिया


हरिद्वार, 7 फरवरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज, महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज, आनन्द पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी, जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत विद्यानन्द सरस्वती, मनसादेवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, निरंनजी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज आदि सहित धर्मनगरी हरिद्वार के समस्त संत समाज ने राज्य के चमोली जनपद में ग्लेशियर फटने के बाद नदियों में आयी बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए सरकार से मृतकों के परिजनों को अधिक से अधिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड में आयी प्राकृतिक आपदा ने प्रत्येक व्यक्ति को झकझोर दिया है। जो जानकारियां मिल रही हैं। उसके अनुसार कई लोग की जान इस प्राकृतिक आपदा के चलते चली गयी है। इसको लेकर पूरा संत समाज दुखी है। उन्होंने कहा कि संत समाज आपदा प्रभावितों व उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है तथा सरकार से मांग है कि आपदा प्रभावित सभी परिवारों को पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराए। आपदा व दुख की इस घड़ी में अखाड़ा परिषद व संपूर्ण देश का संत समाज सरकार के साथ है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज व आनन्द पीठाीधश्वर म.म.स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ग्लेशियर फटने से बाढ़ के रूप में आयी आपदा से भारी जानमाल का नुकसान हुआ है। संत समाज इसे लेकर दुखी है। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितों को सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराए। अखाड़ा परिषद व संत समाज भी अपनी ओर प्रभावितों की मदद करेगा।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की फेरूपुर शाखा के कारोबारी महंत निर्मल दास महाराज ने उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने के बाद आई त्रासदी पर दुख व्यक्त करते हुए मृतक मजदूरों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में यह सबसे बड़ी आपदा का घटित होना पूरा उत्तराखंड सहित देश के लिए खेद का विषय है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए साथ ही लापता लोगों के जल्द से जल्द तलाश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्राकृतिक संपदा के साथ छेड़छाड़ ना की जाए।

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