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गंगा की अविरलता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं-स्वामी बालकानन्द गिरी

विक्की सैनी

हरिद्वार, 6 जुलाई। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि गंगा को नहर घोषित किए जाने का निर्णय संत समाज को कतई स्वीकार नहीं है। गंगा की अस्मिता, शुचिता, पवित्रता को बचाए रखने के लिए संत समाज सदैव तत्पर है। हरकी पैड़ी से होकर बहने वाली गंगा जल की धारा को नहर घोषित करने के निर्णय को सरकार को तत्काल वापस लेना चाहिए। निरंजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका मंदिर में मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा निरंजनी अखाड़े सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज से भेंटवार्ता के दौरान स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि हरिद्वार भगवान शिव व नारायण की भूमि है। हरिद्वार में विभिन्न धाराओं में बह रहा जल भगवान शिव की जटाओं से निकला गंगा जल है। देश दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र गंगा जल के दर्शन, आचमन व स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। अनादि काल से ही प्रत्येक कुंभ में अखाड़े हरकी पैड़ी पर ही गंगा स्नान करते आए हैं। ऐसी पवित्र जलधारा को नहर बताना करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष होने जा रहे महाकुंभ में भी समस्त अखाड़े हरकी पैड़ी पर ही शाही स्नान करेंगे। इसलिए सरकार को गंगा को नहर घोषित करने के फैसले को तत्काल बदलना चाहिए। स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि इस संबंध में उच्च न्यायालय भी सरकार को निर्णय लेने को चुका है। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेकर हरकी पैड़ी को गंगा को घोषित करना चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत दुर्गादास भी इस मांग को उठा चुके हैं। समस्त संत समाज उनके साथ है और उनकी मांग का समर्थन करता है।

श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि मां गंगा भारतीय संस्कृति व सनाधन धर्म का गौरव है। विश्व की आध्यात्मिक राजधानी हरिद्वार की पहचान भी गंगा से ही है। प्राचीन काल से ही हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुण्ड करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बिन्दु रहा है। कुंभ के दौरान होने वाले अखाड़ों के शाही स्नान भी हमेशा ही हरकी पैड़ी पर होते हैं। ऐसे में हरकी पैड़ी पर बह रही जलधारा को नहर बताना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इस निर्णय से हरकी पैड़ी को लेकर श्रद्धालुओं में भी भ्रम की स्थिति बन रही है। इसलिए गंगा को नहर बताने वाले सरकारी फैसले को तत्काल बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही संतों का एक प्रतिनिधिमण्डल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय राज्य मंत्री निरंजन ज्योति व राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात कर संतों की भावना से अवगत कराते हुए हरकी पैड़ी को पुनः गंगा घोषित किए जाने की मांग करेगा। इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत डोगर गिरी, महंत रामलखन गिरी, महंत राजगिरी, आचार्य मनीष जोशी, महंत विकास गिरी, महंत नत्थीनंद गिरी आदि मौजूद रहे।

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