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चंद्रमा की शीतल मधुर किरणों के समान है श्रीराम कथा-आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार, 13 जून। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा है कि प्रभु श्रीराम की कथा सारे जगत को पवित्र करने का माध्यम है और चंद्रमा की शीतल मधुर किरणों के समान है। श्रीराम कथा भव रोग को दूर करने की एक औषधि है। जिसका पान हमेशा करते रहना चाहिए। कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन बतौर मुख्य अतिथि श्रद्धालु भक्तों को श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि जीव मोह माया में पड़ा हुआ है और यह मोह विशालकाय महिषासुर की तरह है। श्रीराम कथा इस राक्षस का वध करने के लिए काली देवी के समान समर्थ और शक्तिशाली है। अपने स्वरूप का ज्ञान ना होना और उसके स्थान पर शरीर से तादात्म्य कर लेना ही मोह है। इस मोह को दूर करने का सबसे सुंदर उपाय भगवान की कथा का एकाग्रता पूर्वक नित्य श्रवण है। श्रीराम कथा मर्मज्ञ कथा व्यास संत विजय कौशल महाराज ने कहा है कि श्री राम कथा के प्रभाव से मानसिक स्वस्थता प्राप्त होती है। यह तीनों प्रकार के दोषों दुखों दरिद्रता कलयुग की कुचालो तथा सब पापों का नाश करने वाली है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस कथा का श्रवण करते हैं। उनके मानसिक विकार दूर होते हैं। अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थिति में वह कभी विचलित नहीं होते। दैविक, भौतिक और अध्यात्मिक तीनों ताप उन्हें सताते नहीं है। उनकी वासनाये परिमार्जित हो जाती है और वह आत्मज्ञान के अधिकारी बनते हैं। श्री हरेराम आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि भगवान का वर्णन निर्गुण रूप में भी होता है और सगुण रूप में भी। जब साधु संत सगुण रूप में भगवान का वर्णन करते हैं। तो वह चित् को शुद्ध करते हैं और चित् शुद्ध होने पर ही साधक निर्गुण ब्रह्म की बातें समझने का अधिकारी बनता है। भगवान की सगुण लीला हृदय की मलिनता दूर करके उसे निर्मल बना देती है। जिस प्रकार पानी बरसने से भूमि की गंदगी रह जाती है और भूमि स्वच्छ हो जाती है। ऐसे ही भगवान की कथा जब हृदय में पहुंचती है तो काम क्रोध आदि विकार दूर हो जाते हैं। इस कथा में प्रेम व भक्ति है और वही श्रीमद् होता है। इसलिए कथा का रसपान प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर मुखिया महंत दुर्गादास महाराज, श्रीमहंत रघुमुनि, स्वामी कृष्ण मुनि, डा.जितेंद्र सिंह, विमल कुमार, प्रो.प्रेमचंद्र शास्त्री, नीलाम्बर खर्कवाल, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पाण्डेय, हरीश कुमार, डा.अश्वनी चैहान, मयंक गुप्ता, कोठारी स्वामी परमेश्वर मुनि, स्वामी रामसागर, साध्वी प्रभा मुनि, स्वामी संतोषानंद, भाजपा नेत्री अनिता शर्मा, भाजपा नेता ओमकार जैन, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत दामोदर दास, महंत गोविंद दास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर शरण दास, महंत श्रवण मुनि, महंत निर्मल दास, महंत जयेंद्र मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, महंत केशव मुनि आदि मौजूद रहे।

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