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भारत के इतिहास में अमर रहेगा स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती का नाम- स्वामी ऋषिश्वरानंद


हरिद्वार। श्री चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा है कि स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती भारत के उन महान राष्ट्रभक्त सन्यासियों में अग्रणी थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना कर हिंदू समाज व भारत को संगठित करने में उनका अतुल्य योगदान सर्वविदित है। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। अंग्रेजों द्वारा जारी शिक्षा पद्धति के स्थान पर वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान गुरुकुल के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती महाराज के बलिदान दिवस से पूर्व संत समाज में उन्हें युगपुरुष बताते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। भूपतवाला स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम में प्रेस को जारी बयान में स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि कहा कि स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने ही सर्वप्रथम गांधी जी को महात्मा की उपाधि से विभूषित किया। भारत की स्वाधीनता के लिए प्रत्येक नागरिक को पांथिक मतभेद भुलाकर एकजुट होने का आवाहन किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान स्वर्णिम अक्षरों में सदैव अमर रहेगा।
बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती महाराज का बलिदान दिवस प्रत्येक युवा के लिए प्रेरणा का दिन है। स्वामी श्रद्धानंद ने धर्म में व्याप्त अंधविश्वास, जाति प्रथा का प्रबल विरोध कर समाज को एक नई दिशा प्रदान की और सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार बने। परंपरागत शिक्षा पद्धति के अनुरूप नए रूप में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना कर उन्होंने भारतीय संस्कृति को विश्व भर में जागृत किया। राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में उनका अहम योगदान कभी बुलाया नहीं जा सकता।
श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा महान समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती महाराज का बलिदान दिवस वर्तमान युग में नई क्रांति का संचार करेगा। युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए। इस अवसर पर युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष स्वामी रविदेव शास्त्री, महामंत्री महंत शिवानंद, महंत दुर्गादास, महंत प्रहलाद दास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास,महंत सूरज दास महाराज सहित कई संत महापुरुषों ने स्वामी श्रद्धानंद महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें युग प्रवर्तक बताया।

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