करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था का केंद्र है मां गंगा-श्रीमहंत राजेंद्रदास
हरिद्वार, 20 जून। गंगा दशहरा के अवसर पर बैरागी कैंप स्थित श्री ज्ञान गंगा गौशाला में संतो ने कोरोना महामारी की समाप्ति एवं विश्व कल्याण हेतु हवन यज्ञ किया। इस दौरान अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि प्राणी मात्र के उद्धार के लिए धरती पर अवतरित हुइ पतित पावनी मां गंगा करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था का केंद्र है। जो युगांे युगों से मानव जाति का उद्धार करती चली आ रही है। गंगा दशहर के अवसर पर श्रद्धा पूर्वक मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है और गंगा के स्पर्श मात्र से ही मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। उन्होंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा की असीम कृपा से जल्द ही कोरोना महामारी संपूर्ण विश्व से समाप्त होगी और हर और खुशहाली लौटेगी। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद महाराज ने कहा कि पापों से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा अवसर गंगा दशहरा का पावन दिन है। मोक्षदायिनी मां गंगा जग की पालनहार है। सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से धरती पर अवतरित हुई मां गंगा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है और उन्हें सहस्र गुना पुण्य फल प्रदान करती है। समस्त मानव समाज को मां रूपी पवित्र गंगा की जलधारा को स्वच्छ बनाए रखना चाहिए। श्री ज्ञान गंगा गौशाला के अध्यक्ष महंत रामदास महाराज ने सभी संत महापुरुषों का स्वागत करते हुए कहा कि जिस जगह पर संत समाज द्वारा धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। वह स्थान सदैव के लिए पूजनीय हो जाता है। संतो द्वारा किए गए तप एवं धार्मिक अनुष्ठान अवश्य ही मानव जाति को लाभ प्रदान करते हैं। हमें समझने की आवश्यकता है कि गंगा केवल जलधारा ही नहीं अपितु जनजीवन और लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है। गंगा सभ्यता एवं संस्कृतियों के साथ साथ विकास की भी जननी रही है। गंगा दशहरा पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि वर्तमान में गंगा स्वच्छता में हम सभी पूर्ण रुप से सहयोग करेंगे। क्योंकि गंगा की सफाई हेतु हम सबका एकीकृत होना वर्तमान की एक बड़ी जरूरत है और सही मायने में यही मां गंगा की सच्ची सेवा उपासना होगी। समाजसेवी पवन शर्मा ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और कहा कि संतों की सेवा करने का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। देश दुनिया में संत परंपरा से भारत की एक अलग पहचान है। जो विश्व में भारत को महान बनाती है। इस अवसर महंत हितेशदास, महंत रामजीदास, संत सेवकदास, महंत अगस्त दास, महंत संगमपुरी, महंत शिवनाथ दास, महंत सतनाम दास, महंत बिहारी शरण, महंत सूरजदास, महंत धीरेंद्र पुरी, महंत बिहारी शरण, महंत रघुवीर दास, समाज सेवी संजय जैन आदि मौजूद रहे।