भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर संजोने में संतो की अहम भूमिका- महामनीषी निरंजन स्वामी
हरिद्वार। लंदन स्थित इंटरनेशनल सिद्धाश्रम के फाउंडर स्वामी राजराजेश्वर गुरु, पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी ने कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुंचकर जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज से भेंट वार्ता कर धर्म एवं संस्कृति के मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने उन्हें रुद्राक्ष की माला और पुस्तक भेंट कर आशीर्वाद प्रदान किया।
भेंट वार्ता के दौरान महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि हरिद्वार के संतों ने भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर जिस प्रकार संजोया, वह सराहनीय है। आचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज अपने ज्ञान और विद्वत्ता के माध्यम से विश्व भर में धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना अनुकरणीय योगदान प्रदान कर रहे हैं जो युवा संतों के लिए प्रेरणादायी है। संत समाज अनादि काल से भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में अपनी सहभागिता निभाता चला रहा है। हम सभी को देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए अपना सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
इंटरनेशनल सिद्धाश्रम के फाउंडर स्वामी राजराजेश्वर गुरु महाराज ने कहा कि वर्तमान में भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर विदेशी लोग भी भारतीय सभ्यता को अपना रहे हैं। जिसमें संत समाज का अहम योगदान है। आचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज संत समाज के गौरव हैं। जो भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में निरंतर प्रयासरत है। संत समाज उनकी दीर्घायु की कामना करता है।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने सभी संतों का स्वागत करते हुए कहा कि संत समाज की त्याग तपस्या ही भारत को महान बनाती है। सनातन धर्म शाश्वत है। धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहकर ही भागवत सत्ता को प्राप्त किया जा सकता है। इस दौरान सुमित अदलखा, प्रेम प्रताप मेहता भी मौजूद रहे।