Dharm

स्वयंभू हैं देवों के देव महादेव भगवान शिव-स्वामी कैलाशानंद गिरी

हरिद्वार, 13 अगस्त। देवों के देव महादेव भगवान शिव स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वाेच्च सत्ता हैं, विश्व चेतना और ब्रह्मांड के अस्तित्व के आधार हैं। जो सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल प्रदान करने वाले हैं। उक्त उद्गार निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में संपूर्ण श्रावण मास चलने वाली शिव आराधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। शिव महिमा का सार समझाते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि शिव आराधना करने वाला व्यक्ति इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग कर अंत में शिवलोक को प्राप्त कर लेता है। देव, दनुज, ऋषि, महर्षि, सिद्ध एवं गंधर्व ही नहीं अपितु ब्रह्मा विष्णु भी महादेव की उपासना करते हैं। भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की साक्षात मूर्ति है। जिनकी उपासना उच्च कोटि के सिद्ध साधकों एवं सर्वसाधारण आस्तिक जनों सभी के लिए परम मंगलमय, परम कल्याणकारी एवं सर्व सिद्धि दायक है। श्रद्धा पूर्वक की गई भगवान शिव की आराधना व्यक्ति को भोग एवं मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है और व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है। पुण्य कर्मों से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है और वह परम सुख की प्राप्ति करता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि मनुष्य की इच्छाओं से बड़ा कोई दुख संसार में नहीं है। मनुष्य इच्छाओं के जाल में फस कर अपना जीवन नष्ट कर लेता है। भगवान की आराधना में लीन रहकर अनावश्यक इच्छाओं को त्याग देने से ही महासुख की प्राप्ति होती है और निर्माेही रहकर निष्काम कर्म करने से आनंद और सफलता जीवन में मिलती है। इसलिए श्रद्धा भाव से भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए क्योंकि भगवान ही मनुष्य को सर्वाेच्च फल प्रदान करने वाले हैं। महंत लालबाबा, महंत रघुबीरानंद, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, कृष्णानंद ब्रह्मचारी, बाल मुकुंदानंद ब्रह्चारी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *