हरिद्वार, 13 अगस्त। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि श्रावण मास भगवान शिव की आराधना को समर्पित है और भगवान शिव स्वयं ही जल है। जो जल समस्त जगत के प्राणियों में जीवन का संचार करता है। वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है। कनखल स्थित अखाड़े में शिव आराधना के उपरांत श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि समुंद्र मंथन के पश्चात भगवान शिव ने विष पी लिया था। विष की उष्णता को शांत कर भगवान भोलेनाथ को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी देवताओं ने उन्हें जल अर्पण किया था। इसलिए शिव आराधना में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जो श्रद्धालु भक्त विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। उनके सभी कष्टों को हर भगवान शिव मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि त्रिदेव में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। जो अपने भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दैहिक दैविक एवं भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए शिव आराधना अत्यंत कल्याणकारी है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से की गयी भगवान शिव की आराधना कभी खाली नहीं जाती। अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक भक्त की भगवान भोलेनाथ हर इच्छा पूर्ण करते हैं। महादेव में विश्वास रखने वाले प्रत्येक श्रद्धालु भक्त को जीवन में अपार खुशियां और सफलताएं मिलती हैं। क्योंकि भगवान शिव की महिमा सर्व हितकारी और कल्याणकारी है। इस अवसर पर महंत अमनदीप सिंह, महंत खेमसिंह, संत सुखमन सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत जसकरण सिंह, ज्ञानी जैलसिह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह, संत निर्भय सिंह आदि मौजूद रहे।
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