गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं-महंत जसविन्दर सिंह
हरिद्वार, 14 अगस्त। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में गुरू स्मृति पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान अखाड़े स्थित गुरूद्वारे में शबद कीर्तन और अरदास कर विश्व कल्याण की कामना की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। जो समाज का मार्गदर्शन कर अपने भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरूजनों की प्रेरणा से ही व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है और गुरू शिष्य परंपरा देश विदेश में भारत को महान बनाती है। महंत बलवीर सिंह महाराज एक वयोवृद्ध संत हैं। जिन्होंने संपूर्ण जीवन युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया। राष्ट्र निर्माण में इनका योगदान सदैव अतुलनीय रहेगा। श्रीमहंत विष्णुदास एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। महंत बलवीर सिंह महाराज वयोवृद्ध अवस्था में भी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। जो संत समाज के लिए गौरव की बात है। महंत बलवीर सिंह महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत सदैव ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के मार्गदर्शन में निर्मल अखाड़ा सेवा प्रकल्पों को भली भांति संचालित कर समाज सेवा में अपना अतुलनीय योगदान प्रदान कर रहा है। धर्म के संरक्षण एवं संवर्द्धन में महापुरूषों ने सदैव ही अग्रणी भूमिका निभायी है। हम सभी को राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए एकजुट होना होगा। तभी भारत का सशक्त निर्माण होगा और देश विश्व गुरू बनने की और अग्रसर होगा। इस दौरान महंत खेमसिंह, महंत गुरमीत सिंह, संत जसकरण सिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह, संत सुखमन सिंह, महंत रंजय सिंह, समाजसेवी अतुल शर्मा, देवेंद्र सोढ़ी आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष उपस्थित रहे।