विक्की सैनी
हरिद्वार, 18 जुलाई। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं और अनादि सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। जो व्यक्ति की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उसे मनवांछित फल प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की शरण में आ जाता है। उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में संघ प्रचारक राकेश जैन व जोलीग्रांट एयरपोर्ट के डायरेक्टर डीके गौतम द्वारा स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में भगवान शिव का शहद, दूध, चंदन और विभिन्न प्रकार के फूलों से रूद्राभिषेक व श्रंग्रार कर जलाभिषेक किया गया और कोरोना वायरस से निजात हेतु भगवान शिव से प्रार्थना की। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भगवान शिव मनुष्य के कर्मो का भलीभांति निरीक्षण कर उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। भोलेनाथ को समर्पित श्रावण मास में जो श्रद्धालु भक्त भगवान की विधानपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। उनके समस्त कष्टों का निवारण भगवान भोलेनाथ करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के रूद्राभिषेक से पातक एवं महापातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं। साधक में शिवत्व का उदय होता है। साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि एक मात्र सदाशिव के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वतः ही हो जाती है। शिव कृपा पाने का उत्तम समय श्रावण मास होता है। सावन में प्रतिदिन नियमपूर्वक विधि विधान से गंगा जल व बेल पत्र से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। भगवान शिव व भगवती का सम्मिलित रूप से पूजन करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति है। भगवान शिव एक मात्र ऐसे देव हैं जो मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होकर भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण कर देते हैं। इस अवसर पर आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्र्हम्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, पंडित शिवकुमार शर्मा, कृष्णा शर्मा आदि मौजूद रहे।