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सनातन धर्म को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना ही महापुरुषों का दायित्व:- आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास

साधुबेला आश्रम में संत सम्मेलन का हुआ आयोजन

हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा है कि संत महापुरुषों का जीवन निर्मल जल के समान होता है जिसमें स्नान करने से अवगुणों का नाश होता है। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना ही महापुरुषों का दायित्व है। भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आयोजित संत समागम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म अजर अमर अविनाशी है, जिसके संरक्षण संवर्धन के लिए संत महापुरुषों ने अनादि काल से ही अपना योगदान प्रदान किया है।‌ उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म से ही आज भारत का पूरे विश्व में एक अलग स्थान है। महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतन आनंद एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललित आनंद गिरि महाराज ने कहा कि धर्म के प्रचार प्रसार में आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज का सहयोग अतुल्य है, जो भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार कर भावी पीढ़ी को संस्कारवान बना रहे हैं।‌ राष्ट्र निर्माण में इनका अतुल्य योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। महंत दामोदर शरण दास एवं महंत स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन सदैव ही मानवता की रक्षा एवं परोपकार को समर्पित रहता है। हम सभी को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागृत रहकर अपने समाज और बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए। साथ ही गरीब असहाय लोगों की सहायता करते हुए गौ संरक्षण एवं गंगा सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए । यही सनातन संस्कृति का मूल उद्देश्य है और मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। मानव सेवा से ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का महंत बलराम मुनि ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान दिल्ली से पधारे जीतू भाई, सुनील कुमार गुप्ता ने परिवार के साथ में भी सभी संत महापुरुषों से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर महंत गंगा दास, उदासीन महंत श्याम दास, महंत दिनेश दास, महंत श्रवण मुनि, भक्त दुर्गादास, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत श्याम प्रकाश, महंत विनोद महाराज, महंत दामोदर दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दर्शन दास, महेंद्र निरंजन दास, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील कुमार, जीतू भाई, जगदीश भटीजा, विनोद छाबड़ा, मोहन छाबड़ा, गिरधर छाबड़ा, सुनील छाबड़ा, नरेश भाई, प्रमोद गुप्ता, राकेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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