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संतो के सानिध्य में व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है।- जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य

विक्की सैनी


हरिद्वार 12 दिसम्बर। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा है कि संतों के सानिध्य में व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। और महापुरुषों ने समाज को सदैव नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित नरसिंह धाम यज्ञशाला में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी नारायण दास महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि शिव स्वरूप संत सदैव ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी नारायण दास महाराज एक युगपुरुष थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया। राष्ट्र निर्माण में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी व स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी नारायण दास महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपने तप व विद्वत्ता के माध्यम से सनातन धर्म के नए आयाम स्थापित किए। मानव सेवा में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद व बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी नारायण दास महाराज ने अपने जीवन काल में संतो की सेवा कर संत समाज का गौरव बढ़ाया। उन्हीं के आदर्शों पर चलकर जगतगुरु स्वामी अयोध्याचार्य महाराज वृद्धावस्था में भी संतों की सेवा कर लगातार राष्ट्र कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहे हैं। जो कि प्रशंसनीय है। जगतगुरु स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कोरोना काल में भी गरीब असहाय लोगों की मदद कर मानव सेवा का परिचय दिया। उनके कृपा पात्र शिष्य महंत राजेंद्रदास महाराज उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं। और संत समाज की सेवा में सदैव तत्पर है। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का महंत राजेंद्रदास महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत विष्णुदास, महंत प्रेमदास, महंत डोंगर गिरी, स्वामी रघुवन, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत सूरजदास, महंत प्रेमदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी शिवानंद, मंहत श्रवण मुनी, मंहत सुतीक्षण मुनी, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेशदास, महंत रामकृष्णदास, महंत श्याम प्रकाश, महंत अरुणदास, स्वामी जगदीशानंद गिरी स्वामी नित्यानंद आदि संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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