Dharm

श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात पहुंची फेरूपुर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने किया स्वागत

पूरे विश्व को धर्म का संदेश प्रदान करते हैं संत महापुरूष-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

हरिद्वार, 27 मार्च। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात शाहपुर से नगर भ्रमण करती हुई फेरूपुर स्थित अखाड़े की शाखा में पहुंची। भ्रमण के दौरान कई सामाजिक संगठनों व आम श्रद्धालुओं ने जमात में शामिल संतों का स्वागत किया। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की शाहपुर शाखा में ठहरी जमात शनिवार को फेरूपुर शाखा पहुंची। जमात के फेरूपुर शाखा पहुंचने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज, मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान देश भर से अखाड़ों के तपस्वी संत नगर भ्रमण कर कुंभ मेले में प्रवेश करते हैं। सनातन संस्कृति के रक्षक संत महापुरूष पूरे विश्व को संत धर्म का संदेश प्रदान करते हैं और कुंभ मेला सनातन संस्कृति का शिखर उत्सव है। जो पूरे विश्व में भारत एक अलग पहचान स्थापित करता है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों ने समाज को सदैव नई दिशा प्रदान की है। कुंभ मेले के दौरान सनातन संस्कृति से प्रभावित होकर विदेशी श्रद्धालु भी भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं। मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज व मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि संत महापुरूष विश्व पटल पर सनातन संस्कृति व धर्म की पताका को फहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला विश्व भर के लिए दर्शनीय है। कुंभ की आलोकिकता व भव्यता संपूर्ण अभिभूत होता है। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के आशीर्वाद से कुंभ मेला सकुशल संपन्न होगा। फेरूपुर शाखा के कारोबारी महंत निर्मलदास महाराज ने जमात के संतों का स्वागत करते हुए कहा कि देश विदेश से श्रद्धालु भक्त कुंभ में संत दर्शन व गंगा स्नान के लिए धर्मनगरी पहुंचते हैं। संत महापुरूषों के दिव्य दर्शन करने मात्र से ही भक्तों का कल्याण हो जाता है। कुंभ की आलोकिक छठा संपूर्ण विश्व को धर्म का सदेश प्रसारित करती है। इस अवसर पर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास, श्रीमहंत रघुमुनि, श्रीमहंत जयेंद्रमुनि, कारोबारी महंत बलवंत दास, महंत निरंजन दास, महंत दुर्वेश दास, महंत दर्शन दास, महंत अद्वैतानंद, म.म.स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी दिव्यांबर मुनि, महंत व्यास मुनि, महंत दामोदरशरण दास, महंत प्रेमदास आदि संतजन मौजूद रहे।

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