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भवसागर की वैतरणी है श्रीमद्भागवत कथा-स्वामी कपिल मुनि

विक्की सैनी


हरिद्वार, 1 अक्टूबर। महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भावगत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित आॅनलाईन श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमदभागवत कथा में सब कुछ ग्राह्य है। त्याज्य कुछ भी नहीं है। जो श्रद्धालु भक्त दीनानाथ के दबरार मं आ जाता है। उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। गंगा तट के समीप और देवभूमि की पवित्र धरती पर कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य म.म.स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि भागवत रूपी गंगा में की धारा पवित्र है जो पापियों को भी तार देती है। जन्म जन्मांतर के पुण्यों का उदय होने पर ही श्रीमद्भागवत जैसी भगवान की दिव्य कथा का सार व्यक्ति को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि प्रभु के नाम में ही आनन्द है। आनन्द स हम तनाव से दूर रह सकते हैं। उन्होंने कथा व्यास की प्रशंसा करते हुए कहा कि कथाएं ता अनवरत चलने वाले धार्मिक आयोजन हैं। परंतु प्रस्तुति व्यक्ति के मन स्वंदित करती हैं। हमें हमेशा प्रभु सुमिरन के साथ जुड़कर ही जीवन व्यतीत करना चाहिए। कथा व्यास आचार्य राजेश भूषण वृन्दावन वाले ने कहा कि कथा के सार को जीवन में आत्मसात कर समाज में फैल रही कुरीतियों को दूर करना चाहिए। बालिकाओं क संरक्षण संवर्द्धन की नैतिक जिम्मेदारी संपूर्ण समाज की है। भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में सभी ग्रन्थों का सार निहित है। भगत सत्ता में आने वाले श्रद्धालु भक्तों का कल्याण श्री हरि स्वयं करते हैं। इसलिए प्रभु भक्ति में लीन हरकर सदैव सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। कथा में पधारे सभी संतों का आचार्य मनीष जोशी ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, आचार्य मनीष जोशी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, स्वामी मोनू गिरी, महेश योगी, सुनील दत्त, नंदकिशोर आदि उपस्थित रहे।

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