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भवसागर की वैतरणी है श्रीमद् भागवत कथा-आचार्य म.म.स्वामी बालकानंद गिरी

हरिद्वार, 5 अप्रैल। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। जगजीतपुर स्थित महामृत्युंजय मठ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य म.म.स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का उद्धार होता है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण से व्यक्ति की अंतरात्मा का शुद्धिकरण होता है। जो व्यक्ति के मन को पवित्र बनाता है। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का भंडार है और कथा की सार्थकता तभी है, जब इसके प्रसंगों को अपनाकर इसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण के माध्यम से अयोग्य व्यक्ति भी योग्यता को प्राप्त करता है और अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन काल में दूसरों की अधिक से अधिक सहायता कर मानव सेवा का संदेश समाज को देना चाहिए। एकजुट होकर ही कोई भी समाज प्रगति कर सकता है और समाज में फैली कुरीतियां समाप्त हो सकती है। महामंडलेश्वर स्वामी यमुना पुरी महाराज ने कहा कि स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए समाज को समरसता का संदेश प्रदान कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में संत समाज का सदैव ही अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। वर्तमान युग में मनुष्य पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहा है। हमें अपने संस्कारों को अपनाकर पाश्चात्य संस्कृति का त्याग करना होगा जिसका माध्यम श्रीमद् भागवत कथा ही है। इस अवसर पर अमोघ देव, सागर, देवऋषि योगी, विपिन तिवारी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, स्वामी सत्यानंद गिरी, आचार्य मनीष जोशी, स्वामी मुनीषानंद गिरी, स्वामी किशोरानंद गिरी, सनातन हिंदूवाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष अमित वालिया, स्वामी सुरेश पुरी, स्वामी मनुनंद गिरी, स्वामी महेशानंद गिरी, स्वामी विद्यानंद गिरी, नंदकिशोर जोशी आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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