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श्रीरामचरितमानस पर अमर्यादित टिप्पणी ना करें अधर्मी लोग – महामंडलेश्वर स्वामी परमात्म देव

श्रीरामचरितमानस के श्रवण से होता है उत्तम चरित्र का निर्माण

हरिद्वार 5 फरवरी। महामंडलेश्वर स्वामी परमात्म देव महाराज ने कहा है कि श्रीरामचरितमानस सनातन धर्म में एक पवित्र ग्रंथ है। जिसके अध्ययन एवं श्रवण मात्र से ही व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। और उसके भीतर उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। उत्तरी हरिद्वार स्थित प्रख्यात धार्मिक संस्था ब्रह्म निवास आश्रम में एक माह से जारी श्रीरामचरितमानस पाठ के संपन्न होने पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी परमात्म देव महाराज ने कहा कि आसुरी प्रवृत्तियों के लोगों का कार्य अनादि काल से समाज में विद्वेष फैलाना है। वर्तमान में भी कुछ ऐसे ही असामाजिक तत्व जो अपने जीवन से हताश हो चुके हैं। धार्मिक ग्रंथों और संत महापुरुषों पर अनर्गल बयानबाजी कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को समाज पूरी तरह नकार चुका है। और ऐसे लोगों के खिलाफ सरकारों को कड़ी कानूनी कार्रवाई कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानंद एवं महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि धर्म पर कुठाराघात कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सनातन धार्मिक ग्रंथों पर अनर्गल टिप्पणी करने का अधिकार किसी को भी नहीं है। हमारे धार्मिक ग्रंथों से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। वोट बैंक की राजनीति के लिए धर्म पर आघात नहीं होना चाहिए। धर्मसत्ता अनादि काल से राजसत्ता की मार्गदर्शक रही है। और सनातन वैदिक ग्रंथों ने समाज में सद्भाव की प्रेरणा देकर हमेशा मार्गदर्शन किया है। महंत कृष्णदेव महाराज ने कहा कि समाज में जब जब कोई विपत्ति आई है तो संत समाज ने अग्रणी भूमिका निभाकर राष्ट्र को संभाला है। धर्म पर अनर्गल टिप्पणी करने वाले लोग ऐसे समय पर क्यों समाज की मदद के लिए आगे नहीं आते। ऐसे लोगों का समाज से पूर्ण रूप से बहिष्कार होना चाहिए जो समाज में विद्वेष फैलाने का कार्य कर रहे हो। संत समाज केंद्र सरकार से मांग करता है। कि धार्मिक ग्रंथों एवं सनातन धर्म पर टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ा कानून बनाना चाहिए। संत समाज धार्मिक ग्रंथों पर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करेगा। इस दौरान स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत दुर्गादास, महंत अरुण दास, महंत गुरमीत सिंह, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, स्वामी ललितानंद गिरी, महंत निर्मल दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास, सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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