विक्की सैनी, हरिद्वार। पतंजलि की कोरोना दवा को लेकर चल रहे विवाद के बीच पंतजलि की ओर से अपना पक्ष रखते हुए स्पष्टीकरण जारी किया गया है। पतंजलि योगपीठ में आयोजित प्रैसवार्ता में स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि क्लीनिकल कंट्रोल्ड ट्रायल के सभी डाक्यूमेंट्स आयुष मंत्रालय भारत सरकार को उपलब्ध करा दिए गए हैं। मंत्रालय ने भी यह स्वीकार किया है कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने कोविड-19 के मैनेजमेंट के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित की है। आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि में अब इस विषय पर कोई भी असहमति नहीं है। आयुष मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार पंतजलि को दिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य श्वासारी वटी एवं दिव्य अणु तेल के निर्माण व वितरण की अनुमति स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी, आयुर्वेद-यूनानी सर्विसेज व उत्तराखंड सरकार से मिली हुई है। उसके अनुरूप अब इसे सुचारु रुप से संपूर्ण भारत में निष्पादित कर सकते हैं। आयुर्वेदिक ड्रग्स लाइसेंस व क्लीनिकल कन्ट्रोल ट्रायल की दोनों धारायें बिलकुल अलग हैं। आयुर्वेद की सभी दवाओं के लाइसेंस की प्रक्रिया उनके परम्परागत गुणों के आधार पर ही है। इसके उपरान्त ही उनके साइन्टिफिक ट्रायल एवं वैलीडेशन को फॉलो किया जाता है। पतंजलि एवं दिव्य फार्मेसी ने भी दिव्य कोरोनिल टैबलेट एवं दिव्य श्वासारि वटी का औषधि लाइसेंस परम्परागत औषधि उपयोग के आधार पर ही लिया है और मॉडर्न रिसर्च बेस्ड क्लीनिकल ट्रायल को इससे जोड़ा गया है। कोविड-19 पॉजिटिव रोगियों पर पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट एवं निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर ने संयुक्त रूप से रेंडमाइज्ड प्लेसिबो-कंट्रोल डबल-ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल किया। ये ट्रायल इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी तथा क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इण्डिया से समुचित मान्यता प्राप्त था। इसके सकारात्मक परिणाम 23 जून को देश के सामने प्रस्तुत किये गए। इसमें 15 से 65 आयु वर्ग के 95 रोगियों (ऐसिम्प्टोमैटिक, माइल्ड टू मोडरेट) ने स्वेच्छा से भाग लिया। इसमें से 45 रोगियों को पतंजलि की औषधियाँ दी गई एवं शेष 50 रोगियों को प्लेसिबो दिया गया। पतंजलि की औषधियों वाले ग्रुप के कोविड-19 रोगी, 3 दिन में 67 फीसदी तथा 7 दिन में सभी 45 रोगी कोविड-19 नेगेटिव पाए गए। साथ ही इन रोगियों का सीआरपी, आईआर-6 एवं टीएनएफ अल्फा साइटोकाइन्स का ब्लॅड सीरम लेवल प्लेसिबो ग्रुप के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर पाया गया। यह आयुर्वेदिक औषधियों का कोविड-19 पॉजिटिव रोगियों पर किया गया पहला सफल क्लीनिकल कन्ट्रोल ट्रायल था। हम अब इन औषधियों के मल्टीसेन्ट्रिक क्लीनिकल ट्रायल की दिशा में अग्रसर हैं। आयुर्वेद को एविडेन्स बेस्ट मेडिसनल सिस्टम के तौर पर स्थापित करने के लिए पतंजलि में व्यापक अनुसंधानात्मक कार्य किए जा रहे हैं। उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, मधुमेह, अर्थराइटिस, लिवर, स्किन डिजीज, डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसी वायरल डिजीज, मेधाशक्ति के बल के लिए, एनिमल प्रि-क्लीनिकल ट्रायल का कार्य पूरा कर चुके हैं और क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के कार्य को भी निष्पादित कर रहे हैं। यह आयुर्वेद एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है। पतंजलि के लगभग 500 से अधिक सीनियर सांईटिस्ट पतंजलि रिसर्च सेन्टर योग एवं आयुर्वेद के विकास केे अनुसंधाान में संलग्न हैं। पतंजलि ने इस सेवा में 10 हजार करोड़ से ज्यादा की सेवा राष्ट्र के नाम समर्पित की है।
हम भारत की सनातन वेद परम्परा और ऋषि परम्परा के प्रतिनिधि हैं। हमने कभी न झूठा प्रोपेगन्डा किया है, न करेंगे। हम करोड़ों लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं। कुछ दवा माफिया और स्वदेशी व भारतीयता विरोधी ताकतें चाहें लाख हमें बदनाम करने की नाकाम कोशिश करें, कितने ही हम पर पत्थर फेंके, हम दृढ़ संकल्पित हैं कि इन्हीं पत्थरों की सीढ़ियां बनाकर अपनी मंजिलें पायेंगे। एक तरफ हम भारत को विश्व गुरु या विश्व की महाशक्ति बनाने का सपना देखते हैं, लोकल को ग्लोबल तथा उसके लिए वोकल होकर, आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं। लेकिन इन्हीं बड़े उद्देश्यों के लिए जब पतंजलि, स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण व पतंजलि के वरिष्ठ वैज्ञानिक अहर्निश निःस्वार्थ पुरुषार्थ कर रहे हैं, तो बेवजह कुछ लोग गाली देने में लगे हैं, तो कुछ एफ.आई.आर. करके जेल भिजवाने के झूठे मंसूबे पाल रहे हैं, तो कुछ अज्ञान, आग्रह, ईष्र्या के शिकार द्वेष-अग्नि में जल रहे हैं। यह एक सभ्य देश के लिए अशोभनीय बात है। हम कुछ तो हमदर्दी रखें, उन लोगों के लिए जो कोरोना एवं अन्य घातक बीमारियों से बेमौत मर रहे हैं। बिना किसी आलोचना की परवाह किए पतंजलि अपने संपूर्ण सामथ्र्य से सबकी सदा सेवा करता रहा है तथा करता रहेगा। सत्यमेव जयते, सेवाधर्म, मानवधर्म एवं राष्ट्रधर्म ही हमारा परम धर्म है।