मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है श्रीमद् भागवत कथा-आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास
हरिद्वार, 5 अप्रैल। साधु बेला आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश शोभायात्रा के साथ किया गया। भूपतवाला स्थित एक नंबर घाट से बैंड बाजों के साथ गंगा पूजन कर भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कथा का रसपान कराते हुए साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार होता है। जो प्राणी मात्र में उत्तम चरित्र का निर्माण कर उसे सत् मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। कथा व्यास प्रकाश कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा कि कुंभ के पावन पर्व और देव भूमि उत्तराखंड की पावन भूमि और पतित पावनी मां गंगा का पवित्र तट, श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन के लिए इससे उत्तम स्थान कहीं नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। कथा से मिलने वाले ज्ञान को प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मसात कर सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है और कलयुग में भी इसके साथ-साथ प्रमाण देखने को मिलते हैं। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। इसलिए समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य ही करना चाहिए। इस दौरान जीतू भाई, हरि भाई, गंगा प्रसाद बड़ौदा, सतीश भागीरथी, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, प्रदीप सुरेका, आदित्य खेमका, दर्शन खेमका सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।