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कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत कथा-म.म.स्वामी बालकानन्द गिरी

विक्की सैनी

हरिद्वार, 2 अक्टूबर। हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आॅनलाईन आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य म.म.स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। सभी मासो में सर्वोत्तम पुरूषोत्तम मास में गंगातट पर श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से करोड़ों गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है तथा जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने कहा कि सभी दुखों व कष्टों को हरने वाली श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव तथा श्रीहरि की कृपा से पूरी दुनिया को कोरोना वायरस से मुक्ति मिले। इस संकल्प के साथ आॅनलाईन आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा फेसबुक व यूटयूब के माध्यम से घर-घर पहुंच रही है। करोड़ों श्रद्धालुजन घर बैठे श्रीहरि की मोक्षदायिनी कथा का रसपान कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जिसे जितना भी ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है। कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का आॅनलाईन आयोजन निश्चित ही भक्तों व देश के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति का सोया हुआ ज्ञान व वैराग्य जागृत होता है और व्यक्ति ज्ञान की प्रेरणा लेकर अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। कथा व्यास राजेश कृष्ण वृन्दावन वाले ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुण्ठ का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। कोरोना काल में स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज के तत्वाधान में आयोजित आॅनलाईन श्रीमद्भागवत कथा का प्रसारण अवश्य ही देश में नई ऊर्जा का संचार करेगा। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत जैसी कल्याणकारी कथा के श्रवण बेहद सौभाग्य से प्राप्त होता है। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, आचार्य मनीष जोशी, स्वामी सोनू गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, आचार्य मनीष जोशी, महेश योगी, सुनील दत्त नंदकिशोर, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।

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