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भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के निधन पर संत समाज ने जताया शोक

युग प्रवर्तक संत थे स्वामी हरिनारायणानंद-स्वामी ऋषिश्वरानंद

हरिद्वार, 10 अप्रैल। भारत साधु समाज के संस्थापक महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई। स्वामी हरिनारायणानंद पटना में एक लंबी बीमारी से ग्रसित थे। जिनका शनिवार देर रात को निधन हो गया। उनके निधन पर हरिद्वार के संत समाज, षड़दर्शन साधु समाज, युवा भारत साधु समाज सहित सभी संत महापुरुषों ने शोक व्यक्त किया है। प्रेस को जारी बयान में चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि स्वामी हरिनारायणानंद महाराज एक युग प्रवर्तक संत थे। जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में धर्म एवं संस्कृति की पताका को भारत सहित विश्व भर में फहराने का कार्य किया उनके निधन से संत समाज को गहरी क्षति पहुंची है। जिसे कभी पूर्ण नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत साधु समाज के माध्यम से देशभर के संतो को एकजुट कर एक मंच पर लाने का कार्य किया। राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि स्वामी हरिनारायणानंद जैसे महापुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं। उनकी सरल कार्यशैली और मधुर भाषा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए उन्होंने सभी को प्रेरित किया और अनेकों सेवा प्रकल्प चला कर समाज को भी सेवा का संदेश दिया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानंद एवं राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने संयुक्त रूप से कहा कि महापुरुषों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके ब्रह्मलीन हो जाने से समस्त संत समाज को गहरा आघात पहुंचा है। पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज एवं बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि स्वामी हरिनारायणानंद महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिनके जीवन से प्रेरणा लेकर युवा संतो को धर्म के प्रचार प्रसार में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। देश की आजादी के लिए किए गए आंदोलनों में उनकी भी भूमिका रही और उन्होंने समाज को समरसता का संदेश दिया और राष्ट्र धर्म को सबसे बड़ा धर्म माना। वास्तव में वह एक अवतारी महापुरुष थे। महंत दुर्गादास, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत रघुवीर दास, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी ऋषिराम किशन, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत गुरमीत सिंह, महंत जसविंदर सिंह, स्वामी दिनेश दास, महंत निर्मल दास महाराज सहित अनेक संतो ने स्वामी हरिनारायणानंद महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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