विक्की सैनी
अनादि काल से वैष्णव अखाड़ों के लिए आरक्षित है बैरागी कैंप की भूमि- स्वामी गौरीशंकरदास
हरिद्वार, 31 अगस्त। कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने प्रशासन द्वारा बैरागी कैंप में मंदिरों को तोड़ जाने का नोटिस दिए जाने पर नाराजगी जतायी है। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में उदासीन संप्रदाय के संतों की बैठक में उन्होंने कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपना पक्ष रखना चाहिए और मंदिरों को तोड़े जाने से बचाना चाहिए। बैरागी कैंप अनादि काल से बैरागी संतों के लिए आरक्षित भूमि रही है। वर्षों से वैष्णव संत बैरागी कैंप क्षेत्र में अपनी छावनियां लगाते आ रहे हैं। परन्तु राजनीतिक लाभ के चलते पिछले कुछ समय से यहां बाहरी लोगों को बसा दिया गया है। सरकार व प्रशासन को सर्वप्रथम स्थायी अतिक्रमण को मुक्त कराकर मेला भूमि को खाली कराना चाहिए और चिन्हित कर बैरागी अखाड़ों को आवंटित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को बैरागी कैम्प भूमि के लिए सभी 13 अखाड़ों और बैरागी संतों के साथा वार्ता करनी चाहिए। श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि जब सन्यासियों की भू समाधि और छड़ी यात्रा की परंपरा की मांग सरकार मान सकती है तो बैरागी संतों की मांग भी सरकार को पूरी करनी चाहिए। साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि सरकार व प्रशासन को सम्पूर्ण बैरागी कैंप क्षेत्र से स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण हटाना चाहिए। बैरागी संतों के साथ उदासीनता कर प्रशासन कुंभ मेला कैसे सकुशल संपन्न कराएगा। संपूर्ण उदासीन सम्प्रदाय बैरागी संतों के साथ है। अनादि काल से अपनी परंपरा का निर्वहन कर रहे बैरागी संत कहां जाएंगे। बैरागी कैंप क्षेत्र का स्वरूप लगातर घटता जा रहा है। इस पर प्रशासन क्यों ध्यान नहीं दे रहा है। सनातन परंपरांओं पर कुठाराघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। म.म.स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र में मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है। सरकार को न्याय पालिका में अपना पक्ष रखना चाहिए। मंदिरों को तोड़ा जाना सनातन धर्म पर कुठाराघात है। सरकार को संतों का सम्मान करना चाहिए। वैष्णव सम्प्रदाय के संतों की समस्या का हल सरकार को करना चाहिए। बैरागी संतों की संख्या के अनुरूप बैरागी कैंप क्षेत्र का स्वरूप कम हो रहा है। इसको प्रशासन ध्यान में रखकर बैरागी कैंप क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करना चाहिए। ताकि किसी भी संत अथवा श्रद्धालु को असुविधा का सामना न करना पड़े। इस अवसर पर म.म.स्वामी भगवत स्वरूप, महंत कमलदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत निर्मलदास, स्वामी वेदानंद, स्वामी दिव्यानंद, महंत बलराम मुनि, महंत निरंजनदास, महंत दर्शनदास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर दास, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णुदत्त पुनेठा, जीतू भाई, सुनील आदि उपस्थित रहे।