Haridwar

बैरागी अखाड़ों को तुरंत दी जाए बैरागी कैंप की भूमि-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

राकेश वालिया

हरिद्वार, 1 सितम्बर। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने प्रैस को जारी बयान में कहा कि बैरागी कैंप भूमि संत महापुरूषों के धार्मिक क्रियाकलापों के लिए आरक्षित चली आ रही है। कुंभ मेलों में संत महापुरूषों द्वारा अपने देवों को पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि तीनों अणी अखाड़ों के संत महापुरूषों की मांग को सरकार को अवश्य पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमानुसार संतों को लीज पर भूमि आवंटित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्थायी अतिक्रमण भी लोगों द्वारा किया गया है। अतिक्रमण पर शासन प्रशासन को संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई को सुनिश्चित करना चाहिए। कुंभ मेला नजदीक है। बैरागी कैंप क्षेत्र में संत महापुरूषों के शिविर स्थापित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में अनावश्यक रूप से विवाद को नहीं बढ़ाना चाहिए। अतिशीघ्र तीनों अखाड़ों को भूमि उपलब्ध करायी जाए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि सभी बैरागी संत हमारे पूज्यनीय हैं। वह कभी सन्यासियों से अपने आपको अलग ना समझें। क्योंकि सभी सन्यासी संत बैरागी संतों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं रखते हैं। उन्होंने राज्य की त्रिवेंद्र सरकार से मांग की कि जिस प्रकार सन्यासियों को भू समाधि के लिए भूमि उपलब्ध करायी जा रही है। उसी तर्ज पर बैरागी संतों को आरक्षित भूमि उपलब्ध करायी जाए। ताकि भविष्य में भी उन्हें कोई परेशानी ना हो और कोई विवाद उत्पन्न ना हो। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज से उन्होंने बातचीत की है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने इस मसले को तुरंत सरकार से बात करके सुलझाने की बात कही है। क्योंकि सभी तेरह अखाड़ों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद संतों की सर्वोच्च संस्था मानी जाती है। इसीलिए बैरागी संतों को धैर्य से काम लेना चाहिए। शीघ्र ही बैेरागी कैंप की आरिक्षत भूमि को बैरागी अखाड़ों को दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने तीनो बैरागी अणी अखाड़ों के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत राजेंद्रदास व श्रीमहंत किशनदास महाराज से अपील करते हुए कहा कि वह अपने आपको सन्यासियों से बिल्कुल अलग मत समझें। सभी सन्यासी अखाड़े उनके साथ हैं।

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