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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान है-महामनीषी निरंजन स्वामी

राकेश वालिया

हरिद्वार, 02 नवम्बर। भगवान श्रीराम जन-जन के अराध्य है जो प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान हैं। जो व्यक्ति प्रभु श्रीराम के आदर्षो को आत्मसात कर सत्य के मार्ग पर चलता है। उसका जीवन भव सागर से पार हो जाता है। उक्त उद्गार भारतमातापुरम स्थित पुरूषार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सत्य के मार्ग पर चलने वालों को अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है परन्तु अन्त में विजय सत्य की ही होती है। प्रभु श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए कठोर बनवास के दौरान अपने जीवन की मर्यादा का पालन करते हुए सत्य का मार्ग अपनाया और अपनी कर्तव्यनिष्ठा के चलते अंत में सिंहासन पर विराजमान हुए। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान है परन्तु व्यक्ति को इसका बोध नहीं होता। धर्म के मार्ग पर अग्रसर रहकर ही व्यक्ति परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है। निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि जो दीन दुखी प्रभु श्रीराम की शरण में आ जाता है उसका कल्याण स्वयं ही हो जाता है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से संत समाज व आमजनमानस के संघर्ष के बाद वह शुभ घड़ी आई है जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। उन्होंने श्रद्धालु भक्तों से अपील करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण में तन, मन, धन से पूर्ण रूप से सहयोग करे। निरंजन स्वामी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि कल (आज) से भारतमातापुरम स्थित नकलंकधाम सेवादास बापा आश्रम में पुरूषार्थ आश्रम एवं षिवा हिन्दू मंदिर के तत्वावधान में कथाव्यास देवी ऋचा मिश्रा के मुखारबिन्द से श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से समस्त देष विदेष में सनातन प्रेमियों को प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्षो का बोध कराया जायेगा। निष्चित तौर पर ही कथा के माध्यम से श्रद्धालु भक्तों में धार्मिक ऊर्जा का संचार होगा और विष्व का कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही पतित पावनी मां गंगा व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कृपा से कोरोना महामारी से देष दुनिया को निजात मिलेगी और सम्पूर्ण विष्व खुषहाली की ओर लौटेगा।

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