राकेश वालिया
हरिद्वार, 3 दिसंबर। म.म.स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा है कि गुरू शिष्य परम्परा से ही सनातन धर्म की पहचान है और महापुरूषों न सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। भीमगौड़ा स्थित जगन्नाथ धाम में आयोजित ब्रह्मलीन म.म.स्वामी जगन्नाथदास व महंत पूर्णदास महाराज की पुण्यतिथी पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव मानवता की रक्षा एवं समाज कल्याण के लिए समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथदास व स्वामी पूर्णदास महाराज ने जीवन पर्यन्त गरीब, असहाय लोगों की सेवा कर सभी को सेवाभाव का संदेश दिया। राष्ट्र कल्याण में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथदास व स्वामी पूर्णदास दोनों महापुरूष त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार हेतु अपना जीवन समर्पित कर भावी पीढ़ी का संस्कारवान बनाकर मानव सेवा की प्रेरणा दी। ब्रह्मलीन जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने अपने गुरूजनों ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथदास व स्वामी पूर्णदास की प्रेरणा से सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को उत्कर्ष पर ले जाने में विशेष योगदान किया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। महंत अरूणदास व महंत लोकेशदास महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से पापों की निवृत्ति व पुण्य की प्राप्ति होती है व जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथदास व स्वामी पूर्णदास महाराज दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने अपने तप व विद्वता के माध्यम से भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने गंगा तट से अनेकों सेवा प्रकल्प प्रारम्भ कर गौसेवा व गंगा संरक्षण का संदेश दिया। उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण करते हुए सेवा प्रकल्पों में निरंतर वृद्धि की जा रही है। उन्हीं की प्रेरणा व आर्शीवाद से वे सदैव संतो व समाज की सेवा करते रहेंगे। इस दौरान स्वामी हरिहरानन्द, महंत देवानन्द सरस्वती, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत निर्मलदास, महंत सूरजदास, महंत अरूणदास, महंत दिनेश दास, स्वामी केशवानन्द, महंत शिवानन्द, महंत सुमितदास आदि उपस्थित रहे।