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स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज जगदीश कुटीर आश्रम के उत्तराधिकारी नियुक्त

युवा संत राष्ट्र की धरोहर है- महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद

हरिद्वार 20 जनवरी । महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा है कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में संत समाज में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। और युवा संत राष्ट्र की धरोहर है जो धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। भूपतवाला स्थित जगदीश कुटीर आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के पट्टाअभिषेक के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज युवा संत है। संत समाज आशा करता है कि वह अपने गुरु के पद चिन्हों पर चलकर धर्म के नए आयाम स्थापित करेंगे। योगी सत्यव्रतानंद, महामंडलेश्वर स्वामी कमलेशानंद एवं राजा स्वामी महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। गुरु शिष्य परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है। संत समाज नवनियुक्त महंत स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को आशीर्वाद प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए जगदीश कुटीर के नवनियुक्त उत्तराधिकारी स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज द्वारा सौंपा गया है उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे। और अपने गुरु के अधूरे कार्यों को पूर्ण करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में अपना जीवन व्यतीत करेंगे। महंत कल्याण देव एवं महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों के जप तप से भारत विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिनके सुयोग्य शिष्य स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में अपना सहयोग प्रदान करेंगे। और संतों की सेवा करते हुए राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने मे अपना जीवन व्यतीत करेंगे। कार्यक्रम का संचालन स्वामी हरिहरानंद महाराज ने किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी नवल किशोर दास, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, महंत शिवानंद, महंत रामानंद सरस्वती, महंत प्रह्लाद दास, महंत प्रेमदास, महंत कृष्णदेव, महंत पूर्णानंद गिरी, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष स्थित रहे।

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