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ध्यान और ज्ञान का प्रतीक हैं भगवान शिव-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

विक्की सैनी

हरिद्वार, 28 जुलाई। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव ध्यान और ज्ञान का प्रतीक हैं। जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उनके सभी मनोरथ पूरे करते हैं। जो श्रद्धालु भक्त श्रावण मास में विधि विधान से महादेव की आराधना करता है। उसके सभी कष्टों का निवारण भगवान शिव स्वयं करते हैं। मंगलवार को यूपी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल व विजय कुमार कश्यप ने श्री दक्षिण काली मंदिर में स्वामी कैलाशानंद महाराज के सानिध्य में भगवान शिव का रूद्राभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरे सावन चलने वाली विशेष शिव आराधना के दौरान विभिन्न प्रकार के दुर्लभ फूलों द्वारा भगवान शिव का श्रंग्रार कर रूद्राभिषेक करते हुए स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं और अनादि सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। जो व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की शरण में आ जाता है। उसका जीवन स्वयं ही सफल हो जाता है। भगवान शिव मनुष्य के कर्मो को भलीभांति निरीक्षण कर उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। भगवान शिव निराकार परमात्मा हैं। जो भक्तों की मंशा जानकर उनके सभी बिगड़े कार्य बनाते हैं। भगवान शिव की आराधना सदैव कल्याणकारी और भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव के रूद्राभिषेक से पातक एवं महापातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं। साधक में शिवत्व का उदय होता है। साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि एक मात्र सदाशिव के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वतः ही हो जाती है। शिव कृपा पाने का उत्तम समय श्रावण मास होता है। सावन में प्रतिदिन नियमपूर्वक विधि विधान से गंगा जल व बेल पत्र से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शिव कृपा अवश्य प्राप्त होती है। भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। भगवान शिव व भगवती का सम्मिलित रूप से पूजन करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति है। भगवान शिव एक मात्र ऐसे देव हैं जो मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होकर भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण कर देते हैं। मंत्री कपिल देव अग्रवाल व विजय कुमार कश्यप ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गंगा तट पर महादेव का अभिषेक करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज द्वारा की जा रही कठोर साधना से अवश्य ही देश व प्रदेश उन्नति की ओर अग्रसर होगा। इस अवसर पर आचार्य पवनदत्त मिश्र, स्वामी अनुरागी महाराज, पंडित प्रमोद पाण्डे, बालमुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, अनुज दुबे, अनुराग वाजपेयी, पंडित शिवकुमार, कृष्णा शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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