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ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा दिव्य और महान संत थे -श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

हरिद्वार, 19 अप्रैल। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के पूर्व सचिव महंत वासुदेव गिरि (लाल बाबा) के ब्रह्मलीन हो जाने से संत समाज को गहरा आघात पहुचा है वह लंबे समय तक अखाडे़ के कोठारी एवं सचिव पद पर आसीन रहे। ब्रह्मलील महंत लाल बाबा का सोमवार की रात गुजरात में निधन हो गया था। उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा महाराज एक दिव्य और महान संत थे। जिन्होंने अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए धर्म और संस्कृति का प्रचार प्रसार किया और अपने कार्यकाल में अखाड़े को निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर किया। उनके द्वारा समाज को सेवा का संदेश दिया गया और धर्म एवं संस्कृति के उत्थान के लिए सदैव ही उन्होंने भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन हमेशा ही समाज कल्याण के लिए समर्पित रहता है और ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा तो त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जो सदैव ही परमार्थ के कार्यों के लिए औरों को प्रेरणा देकर समाज में सद्भाव का वातावरण बनाते हैं। उनकी मधुर वाणी और कुशल व्यवहार सदैव संतो को याद आता रहेगा। महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती एवं कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि परोपकार को जीवन समर्पित करने वाले संत सदैव अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा महाराज एक परोपकारी महापुरुष थे। जिन्होंने गंगा तट से अनेक सेवा प्रकल्प प्रारंभ कर समाज कल्याण में अपना अहम योगदान दिया। ऐसे महापुरुषों का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है। अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा महाराज का जीवन निर्मल जल के समान था और वह सेवा एवं करुणा की पराकाष्ठा थे। जिन्होंने सभी संतो को एक मंच पर लाकर समरसता स्थापित की। उनके जैसे महापुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज व स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि ब्रह्मलील महंत लाल बाबा ने देश के सामाजिक, सांस्कृति व आध्यात्मिक निर्माण में अहम योगदान दिया। जिसे कभी भुलाया नही जा सकता। संत समाज को एकजुट कर एक मंच पर लाने में उन्होंने पूरे जीवन संतों के साथ सहयोग किया। आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द महाराज, श्रीमहंत महेश्वरदास, श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा के अचानक चले जाने से संत समाज को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। वह त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। श्रीमहंत राजेंद्रदास व श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत लालबाबा ने अपना पूरा जीवन भगवान की भक्ति और संतों की सेवा में व्यतीत किया। उन्होंने सदा संत महापुरूषों का बढ़चढ़ कर आदर सत्कार किया। ब्रह्मलीन महंत लाल बाबा को श्रद्धांजलि देने वालों में स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी कपिल मुनि, स्वामी ललितानंद गिरी, महंत गौरीशंकर दास, महंत रूपेंद्र प्रकाश, महंत सत्यम गिरी, महंत विष्णुदास, बाबा बलराम दास हठयोगी, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत निर्मलदास, स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री, श्रीमहंत अखिलेश भारती, महंत सुभाष भारती, महंत सूर्यमोहन गिरी, महंत नवरत्न किशोर गिरी, स्वामी गिरधर गिरी, महंत गोविदंदास, महंत बिहारी शरण, स्वामी शरदपुरी आदि सभी संत महंतों ने उन्हें महान संत बताया।

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