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महापुरूषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है-जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य

राकेश वालिया

हरिद्वार, 14 फरवरी। भूपतवाला स्थित श्री सीताराम धाम मे तीर्थनगरी के सन्त महंतो के सानिध्य में ब्रह्मलीन महंत डा.मोहनदास रामायणी महाराज का द्वितीय श्रदांजलि समारोह मनाया गया। इस अवसर पर श्री सीताराम धाम के अध्यक्ष बालस्वामी महंत सूरजदास महाराज ने अपने गुरुदेव साकेतवासी मोहन दास महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित कर सभी संतों महंतो का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस अवसर पर ब्रह्मलीन महंत डा.मोहनदास रामायणी की स्मृति में श्री सीताराम स्तुति संग्रह का विमोचन भी किया गया। ब्रह्मलीन महंत डा.मोहनदास रामायणी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत मोहन दास रामायणी महाराज रामयण के प्रखर वक्ता होने के साथ-साथ बड़े सरल स्वभाव के सन्त थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त समाज सेवा करते हुए सनातन संस्कृति को बढ़ावा दिया। धर्म के उत्थान में उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा। बाबा बलरामदास हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत डा.मोहनदास रामायणी त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने सदैव मानव सेवा करते हुए गरीब, असहाय लोगों की सहायता का संदेश दिया। उनके आदर्शो को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति को मानव सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए। निर्मोही अखाड़े के सचिव महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत मोहनदास रामायणी संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। जिन्होंने पूरे भारत में राम नाम का प्रचार प्रसार कर समाज को धर्म का संदेश दिया। भारतीय संस्कृति के उत्थान में उनका अतुलनीय सहयोग सदैव स्मरणीय रहेगा। महंत प्रह्लाद दास महाराज एवं महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन महंत मोहनदास रामायणी महाराज वैष्णव संप्रदाय के महान संत थे। जिन्होंने सदैव संतों को एकजुट कर धर्म के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया। ऐसे महापुरूष को सन्त समाज नमन करता है। ब्रह्मलीन महंत मोहनदास रामायणी के कृपापात्र शिष्य महंत सूरजदास महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव के बताए मार्ग पर अग्रसर होकर संतों की सेवा करते हुए राष्ट्रकल्याण में योगदान प्रदान किया जा रहा है। उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण करना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। इस दौरान महंत राजेंद्रदास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत कपाली महाराज, महंत दुर्गादास, महंत अरूणदास, महंत सुमितदास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महामंडलेश्वर जगदीशानन्द महाराज, महंत केशवानंद, महंत दिनेशदास, रामचरणदास महाराज, कृपालु जी महाराज, रघुवीरदास महाराज, म.म.सुरेशमुनि महाराज, महंत सच्चिदानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह आदि संतों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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