विक्की सैनी
हरिद्वार, 8 सितम्बर। उत्तरी हरिद्वार स्थित साधुबेला आश्रम में आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने शमी, परिजात, रूद्राक्ष, तुलसी के पौधों का रोपण किया। इस दौरान आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने रोपे गए पौधों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है। सभी यज्ञों में शमी वृक्ष का उपयोग शुभ माना गया है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी पंचांग यानी फूल, पत्तियों, जड़, टहनियों और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से मुक्ति पायी जा सकती है। आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने बताया कि शिवलिंग पर हजार बेलपत्र चढ़ाने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है। वह शमी का मात्र एक पत्ता चढ़ाकर प्राप्त किया जा सकता है। रूद्राक्ष का पौधा भी अत्यन्त लाभकारी गुणों वाला है। शास्त्रों में रूद्राक्ष के फल को भगवान शिव की आंख का पानी माना गया है। उन्होंने बताया कि परिजात व तुलसी भी अत्यन्त लाभकारी गुणों वाले पौधे हैं। आयुर्वेद में इन सभी पौधों का उपयोग कई जीवन रक्षक व स्वास्थ्यवर्द्धक दवाएं बनाने में किया जाता है। उन्होंने कहा कि बिगड़ते पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए पौधारोपण बेहद जरूरी है। जीवन के लिए बेहद उपयोगी वृक्ष प्राण वायु प्रदान करने के साथ अनेक लाभ प्रदान करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को पौधारोपण अवश्य करना चाहिए। लेकिन केवल पौधारोपण करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि पौधे के वृक्ष बनने तक उसकी देखभाल करना भी जरूरी है। स्वामी बलराम मुनि, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील, जीतू भाई आदि ने भी पौधारोपण में सहयोग किया।