विक्की सैनी
हरिद्वार, 5 जुलाई। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति समर्पण को दर्शाने वाला गुरू पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति और सनातन परम्परा का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में गुरू पूजन के दौरान उन्होंने कहा कि सभी धर्म शास्त्रों में गुरू की अद्भुत महिमा बतायी गयी है। गुरूपूर्णिमा पर्व पूरे विश्व को भारत की गुरू शिष्य परम्परा का संदेश देता है। गुरू शिष्य परम्परा के माध्यम से भारत में धर्म, दर्शन और परंपराओं का अद्भुत सम्मिश्रण तथा अत्यंत समृद्ध इतिहास रहा है। भारत में शिक्षा व्यवस्थायंे, गुरूकुल शिक्षा पद्धति हमेशा उत्कृष्ट स्तर की रही है। अनादि काल से चली आ रही गुरू शिष्य परम्परा वर्तमान समय में भी जीवंत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि गुरू वह पारस है जो शिष्य के जीवन से अन्धकार को दूर कर उसका जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित कर देते हंै। भारत ने गुरूओं के रूप में विश्व को अनमोल रत्न दिये है। गुरूओं ने वेद, पुराणों और दिव्य ग्रंथों के माध्यम से दुनिया को बताया है कि दिव्य गं्रथों के मंत्र जीवन के सभी रहस्यों को खोल सकते हंै। मंत्रों की गहराई को समझने से मन, वचन, कर्म और विचारों में अद्भुत परिवर्तन होता है।