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प्रयागराज में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के चयन के लिए हुई बैठक को बताया हास्यास्पद


निष्कासित व फर्जी संतों को शामिल कर की गयी बैठक-श्रीमहंत राजेंद्र दास


हरिद्वार, 25 अक्टूबर। अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने प्रयागराज में होने वाली परिषद की बैठक को हास्यास्पद करार दिया है। प्रैस को जारी बयान में श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा है कि जिन संतों के समर्थन से अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है। उन संतो को अखाड़ों ने पहले ही निष्कासित कर रखा है। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े ने महंत मदन मोहन दास को कई वर्षों पूर्व परंपराओं का पालन ना करने और धर्म विरुद्ध कार्य करने के चलते अखाड़े से निष्कासित कर दिया था और अखाड़ों में पंचायती व्यवस्था होती है। किसी एक व्यक्ति विशेष की नहीं। एक व्यक्ति के समर्थन से अखाड़े का समर्थन किसी भी अखाड़े को नहीं दिया जा सकता। निर्मोही अखाड़े के लेटर पैड का गलत इस्तेमाल किया गया है। जिसके लिए महंत मदन मोहन दास के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि भूरीवाले गुट के बाबा प्रेम सिंह भूरीवाले एक शादीशुदा व्यक्ति है। जो संत का वेश धारण कर समाज को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे लोगों के समर्थन से फर्जी अखाड़ा परिषद का गठन करना कुछ संतो की ओछी मानसिकता और धर्म के विरुद्ध मर्यादा को दर्शाता है। ऐसे संतो को शर्म आनी चाहिए जो समाज को भ्रमित कर संतों में फूट डालने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी असामाजिक तत्व को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रयागराज में होने वाली बैठक पूर्ण रूप से फर्जी है और आधारहीन है। जिसका अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बहिष्कार करती है और समाज को ऐसे फर्जी संतो से सचेत रहने के लिए आगाह करती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि हरिद्वार में हुआ अखाड़ा परिषद का गठन पूरी तरह वैघ है। सात अखाड़ों व चारों संप्रदाय के संतों ने मिलकर बहुमत से पदाधिकारियों का चुनाव किया है। लेकिन वर्षो से परिषद पर कब्जा जमाए बैठे कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते औछे हथकंडे अपनाकर संतो की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। जिसे पूरा समाज देख और समझ रहा है।

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