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वैष्णव अखाड़ों की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं-श्रीमहंत राजेंद्रदास

हवन यज्ञ से होता है धार्मिक ऊर्जा का संचार-श्रीमहंत राजेंद्रदास

हरिद्वार, 8 मई। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े में आयोजित कोटी होमाात्मक श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ के दौरान संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सभी संतो ने विश्व कल्याण की कामना की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़ों की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं। संत महापुरुष अनादि काल से ही राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। विश्व कल्याण के लिए आयोजित महायज्ञ अवश्य ही पूरे विश्व में धार्मिक उर्जा का संचार करते हुए धर्म का एक सकारात्मक संदेश प्रदान करेगा। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज वृद्धावस्था में भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। जो कि संत समाज के लिए गौरव की बात है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि हमें अपनी पद्धति अपनी परंपराओं का बोध होना अति आवश्यक है। युवा पीढ़ी को धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए साथ ही औरों को भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रति जागृत करना होगा। स्वामी ऋषिश्वरानंद एवं महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानन्द महाराज ने कहा कि अखाड़े आश्रम और गुरु शिष्य परंपरा सनातन धर्म की रीढ़ हैं। प्राचीन भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने के लिए आज आवश्यकता है कि अधिक से अधिक गुरुकुल की स्थापना की जाए। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और अपनी संस्कृति व पद्धति, जल संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास करने चाहिए। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का महंत राजेंद्रदास महाराज, साध्वी विजयलक्ष्मी, साध्वी जयश्री ने फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमहंत रामजी दास, महंत दुर्गादास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत नरेंद्रदास, स्वामी रघुवन, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, अंकित शरण, महंत सूरजदास, महंत अरुणदास, स्वामी गंगादास उदासीन, सामाजिक सेना प्रमुख महंत विनोद महाराज, स्वामी सत्यव्रतानंद, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत प्रह्लाद दास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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