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भवसागर की वैतरणी है श्रीमद् भागवत कथा -श्रीमहंत दिलीप दास

सनातन धर्म पर अनर्गल टिप्पणी बर्दाश्त नहीं- श्रीमहंत राजेंद्र दास

हरिद्वार13 सितम्बर। जगन्नाथ धाम अहमदाबाद गुजरात के श्रीमहंत दिलीप दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतर्णी है जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। जो व्यक्ति भागवत ग्रंथ से प्राप्त ज्ञान को आत्मसात कर लेता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। भूपतवाला स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन बतौर अतिथि कार्यक्रम में पहुंचे श्रीमहंत दिलीप दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत देवताओं को भी दुर्लभ है सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान की अविरल धारा है जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है। प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर कथा श्रवण का अवसर और अधिक बढ़ जाता है। कहा कि कुछ लोग सनातन धर्म को लेकर हिंदू समाज को चुनौती दे रहे हैं जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सनातन धर्म अजर, अमर, अविनाशी है। जिसे अनादि काल से मिटाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन धर्म के खिलाफ साजिश रचने वाले स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। वास्तव में श्रीमद् भागवत में सभी ग्रंथो का सार निहित है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। कथा व्यास स्वामी अरुण दादा राधेश्याम आचार्य ने कहा कि युगों युगों के पुण्य उदय होने पर कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। देवभूमि उत्तराखंड में जो व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण की पवित्र वाणी का श्रवण कर लेता है उसके जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है। इस दौरान चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूल माला पहनकर स्वागत किया। इस दौरान कथा के मुख्य यजमान चंदेश्वर बापू, महंत शिवानंद, महंत सुखदेव दास, बरहम बाबा, महंत शिंटूदास भी मौजूद रहे।

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