Dharm

साक्षात भगवान स्वरूप है श्रीमद्भागवत कथा-स्वामी अच्युतानंद तीर्थ

हरिद्वार, 3 दिसम्बर। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा है कि श्रीमद्भागवत साक्षात भगवान का स्वरूप है। जिसके पठन एवं श्रवण से भोग एवं मोक्ष दोनों ही सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। भूपतवाला स्थित सिद्ध पीठ भूमा निकेतन आश्रम के घाट पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि भागवत के पाठ से कलयुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं और इसके श्रवण मात्र से प्रभु श्री हरि ह्रदय में आ विराजते हैं। फल की दृष्टि से श्रीमद्भागवत की समानता काशी पुष्कर एवं प्रयाग कोई भी तीर्थ नहीं कर सकता। इसीलिए सभी को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। कथा व्यास आचार्य वेदप्रकाश ने कहा कि हजारों अश्वमेघ और वाजपेई यज्ञ श्रीमद् भागवत कथा का अंश मात्र भी नहीं है। जिस घर में नित्य भागवत कथा का पठन होता है। वह तीर्थरूप हो जाता है। केवल पठन श्रवण ही पर्याप्त नहीं। इसके साथ अर्थबोध, चिंतन, मनन, धारण और आचरण भी आवश्यक है। सुख समृद्धि भगवत प्राप्ति एवं मुक्ति और सफल जीवन के संपूर्ण प्रबंधन के लिए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण एवं पठन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इससे जो फल अनायास ही सुलभ हो जाता है। वह अन्य साधनों से दुर्लभ ही रहता है। वास्तव में जगत में भागवत शास्त्र से निर्मल कुछ भी नहीं है। इसलिए भागवत रस का पान सभी के लिए सर्वदा हितकारी है। भूमा निकेतन आश्रम के प्रबंधक राजेंद्र शर्मा ने कहा कि संत समाज अपने ज्ञान और तप के माध्यम से समस्त समाज का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं। संतों के सानिध्य में किए गए धार्मिक अनुष्ठान सहस्र गुना पुण्य फलदाई होते हैं। इस अवसर पर सुरेश शर्मा, हरिओम शर्मा, विजय शर्मा, देवराज तोमर, सुनील कुमार, विदित शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *