अमृत रूपी नदी है प्रभु श्रीराम की कथा – स्वामी ऋषिश्वरानंद
हरिद्वार 19 फरवरी। महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि जिस तरह सबरी के जीवन का प्रत्येक दिवस प्रभु श्रीराम की प्राप्ति की संभावनाओं से भरा हुआ था। उसी तरह मनुष्य को तमाम असफलताओं के बावजूद हर दिन को उत्साह के साथ एक संभावना के रूप में देखना चाहिए। यही राम कथा से हमें जीवन का मूल संदेश प्राप्त होता है। भारतमाता पुरम स्थित एकादश रुद्र पीठ आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन आयोजित संत समागम में श्रद्धालु भक्तों को कथा का महत्व समझाते हुए राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम की कथा के दर्शन अति दुर्लभ है। पवित्र मन से इसका श्रवण करने पर व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। और उसका जीवन भवसागर से पार लगता है। श्री चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा प्रभु श्री रामचंद्र जी के गुण, समूह जगत का कल्याण करने वाले और मुक्ति, धर्म और परमधाम को देने वाले हैं। राम कथा पाप, संताप और शोक का नाश करने वाली है। अज्ञान और भ्रम को हरने वाली है। कलयुग में श्रीराम कथा सब मनोरथो को पूर्ण करने वाली कामधेनु गाय है। और सज्जनों के लिए संजीवनी बूटी है इस संसार में अमृत रूपी नदी है। इसलिए कथा का श्रवण सभी को अवश्य करना चाहिए। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानंद एवं महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि राजगुरु स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज वृद्धावस्था में भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करके समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं जो समस्त युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। और संत समाज के लिए यह गौरव का विषय है। इस दौरान विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें संत समाज में भाग लेकर विश्व कल्याण की कामना की। इस दौरान महंत सुतीक्षण मुनि, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, निरंजन स्वामी, महंत गुरमीत सिंह, महंत अरुण दास, नंदिनी तिवारी, आरडी मणि तिवारी, पंडित संतराम भट्ट, हरिमोहन शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, ओमप्रकाश शर्मा, अरविंद त्रिपाठी, आत्माराम पाठक, देवेंद्र शर्मा, आरके पांडे, शशिकांत द्विवेदी, सुशील शर्मा, संजय मिश्रा, सहित अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।