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वैष्णव सम्प्रदाय में शामिल हुए श्री पंच अग्नि अखाड़े के सचिव श्रीमहंत साधनानंद

संतोष दास के नाम से जाने जाएंगे श्रीमहंत साधनानंद

हरिद्वार, 16 दिसम्बर। श्री पंच अग्नि अखाड़े के सचिव एवं स्वामी मुक्तानंद बापू के शिष्य श्रीमहंत साधनानंद महाराज वैष्णव संत समाज के सानिध्य में वैष्णव संप्रदाय में शामिल हो गए। अयोध्या में तीनों वैरागी अनी अखाड़ा के संत महापुरुषों के सानिध्य में आयोजित समारोह में श्रीमहंत साधनानंद महाराज को अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े के सनकादिक आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। इस दौरान वैष्णव संत समाज ने उन्हें तिलक चादर भेंट कर महंतई प्रदान की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़ों की गौरवशाली परंपराए विश्व विख्यात हैं। श्रीमहंत साधना नंद महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी महापुरुष हैं। जिनके वैष्णव संप्रदाय अपनाने से वैष्णव समाज को एक नई ऊर्जा प्राप्त होगी। श्रीमहंत साधनानंद महाराज को वैष्णव संप्रदाय अपनाने के बाद श्रीमहंत संतोष दास महाराज के नाम से जाना जाएगा और वह अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़े में रहकर वैष्णव परंपराओं का निर्वहन करते हुए धर्म एवं संस्कृति की पताका को फहराएंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों ने समाज को सदैव ही नई दिशा प्रदान की है। श्रीमहंत संतोष दास महाराज युवा संत हंै। जिनके वैष्णव अखाड़ों में आने से युवा पीढ़ी को भी बल मिलेगा। समस्त वैष्णव समाज उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के राष्ट्रीय महासचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि धर्म की पताका को फहराने में संत समाज ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है और वैष्णव संप्रदाय अपने तप और विद्वत्ता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। श्रीमहंत संतोष दास महाराज एक महान संत हैं, जो युवावस्था से ही धर्म एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। हमें आशा है कि वह वैष्णव परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान प्रदान करेंगे। इस अवसर पर श्रीमहंत राम किशोर दास शास्त्री, महंत ईश्वरदास, नागा महंत सुखदेव दास, महंत रामजी दास, महंत गोविंद दास, महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा, महंत रामशरण दास, ब्रह्मांड गुरु अनंत महाप्रभ, महंत भैया दास महाराज सहित बड़ी संख्या में वैष्णव संत उपस्थित रहे।

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