हरिद्वार, 2 जुलाई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्णदास महाराज के साकेत वासी हो जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रैस को जारी बयान में श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत कृष्णदास महाराज वयोवृद्ध होने के साथ-साथ विद्वान एवं अनुभवी महापुरूष थे। जिनके नेतृत्व में लाखों वैष्णव संतों ने कई कुंभ मेले संपन्न किए। उनके आकस्मिक निधन से संत समाज में शोक की लहर है। श्रीमहंत कृष्णदास महाराज निर्मलता एवं सादगी की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। निंरजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि महापुरूषों का जीवन सदैव मानव सेवा के लिए समर्पित रहता है और महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षााएं सदैव समाज को जीवंत रूप में लाभान्वित करती रहती हैं। श्रीमहंत कृष्णदास महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने संपूर्ण जीवन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित किया। ऐसे महापुरूषों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि समाज को शिक्षित एवं उन्नत करने में संत महापुरूषों की सदैव अग्रणीय भूमिका रही है। श्रीमहंत कृष्णदास महाराज एक महान संत थे। उनके नेतृत्व में श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े ने धर्म व राष्ट्र सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया। समय समय पर उनका अनुभव वैष्णव संतों का मार्गदर्शन करता रहा है। उनका अचानक साकेत वासी हो जाना समस्त वैष्णव समाज के लिए अत्यन्त दुखद है। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि श्रीमहंत कृष्णदास महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत तथा वैष्णव अखाड़ों के मार्गदर्शक थे। उनके गहन अनुभव का लाभ वैष्णव अखाड़ों को सदैव मिला है। उनके अचानक साकेतवासी हो जाने से समस्त संत समाज व वैष्णव अखाड़ों को जो क्षति हुई है। उसकी पूर्ति निकट भविष्य में हो पाना संभव नहीं है। सभी को उनके दिखाए मार्ग व उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान देना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत कृष्णदास महाराज एक दिव्य संत थे। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार व मानव कल्याण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य, आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, श्रीमहंत रामरतन गिरी, जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महंत विष्णुदास, बाबा हठयोगी, महंत प्रहलाद दास, महंत प्रेमदास, महंत राजेंद्रदास, महंत बिहारी शरण, महंत रविन्द्रपुरी, महंज जसवेंद्र सिह, मुखिया महंत भगतराम, महंत सूरजदास, महंत रघुमुनि, महंत दामोदर दास, महंत निर्मलदास सहित सभी संतों ने श्रीमहंत कृष्णदास महाराज के साकेतवासी हो जाने पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें महान और दिव्य संत बताया।
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