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संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज को श्रद्धांजलि

त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज-स्वामी राघवानंद

हरिद्वार, 12 दिसम्बर। महामंडलेश्वर स्वामी राघवानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए महापुरुषों ने सदैव ही अग्रणी भूमिका निभाकर समाज को नई दिशा प्रदान की है और राष्ट्र निर्माण में संत समाज का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। भूपतवाला स्थित शिवानंद आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज की 17 वी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी राघवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया। समाज कल्याण में उनका अहम योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है और महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी प्रेरणाएं समाज का मार्गदर्शन अनंत काल तक करती रहती हैं। ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज एक तपस्वी एवं विद्वान महापुरुष थे। उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर उनके कृपा पात्र शिष्य स्वामी नरेशानंद महाराज धर्म एवं संस्कृति के उत्थान में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। महंत दुर्गादास महाराज व महंत प्रह्लाद दास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। सभी को उनके विचारों को आत्मसात कर मानव कल्याण मेंयोगदान करना चाहिए। शिवानंद आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी नरेशानंद महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संतों का जीवन सदैव निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन पूज्य गुरुदेव स्वामी शिवानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने युवाओं को धर्म एवं संस्कृति के प्रति जागृत कर उन्हें संस्कारवान बनाया। उन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर उनके अधूरे कार्य को पूरा किया जा रहा है और गंगा तट से उन्होंने सेवा के जो प्रकल्प प्रारंभ किए थे उनमें निरंतर बढ़ोतरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाए रखने में संत समाज सदैव अपनी सहभागिता निभाता रहेगा। इस अवसर पर स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, साध्वी रमादेवी, महंत प्रेमदास, महंत श्याम प्रकाश, महंत सत्यव्रतानंद, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास, महंत प्रेमदास, ज्ञानी महंत खेमसिंह, स्वामी जगदीशानंद गिरी, स्वामी दिव्यांश वेदांती, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, भक्त दुर्गादास, महंत प्रमोद दास, सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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