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निर्मल अखाड़े में शामिल हुए बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले गुट के संत


अखाड़े में शामिल हुए सभी संतों का सम्मान करता है निर्मल अखाड़ा-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह


हरिद्वार, 18 अगस्त। बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले गुट के करीब एक दर्जन संत भूरी वाले गुट का साथ छोड़कर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में शामिल हो गए। इस दौरान निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज एवं कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर व सरोपा भेंटकर स्वागत किया। प्रैसवार्ता में पत्रकारों को जानकारी देते हुए निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि समस्त निर्मल भेख उनका है। निर्मल अखाड़े के सभी संत निर्मल भेख के ही हैं। संतों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि भ्रमित होकर कुछ संत भूरी वाले गुट के साथ चले गए थे। लेकिन भ्रांतियां दूर होने पर वापस अखाड़े में लौट आए हैं। जैसे-जैसे भूरी वाले गुट की असलियत सामने आ रही है। संतों का भ्रम दूर हो रहा है। जल्द ही सभी संत वापस अखाडे़ में लौट आएंगे। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने भूरी वाले गुट के सभी संतों का स्वागत करते हुए कहा कि निर्मल अखाड़े में निर्मल भेख के सभी संतों का स्वागत है। अखाड़े के द्वार सभी संतों के लिए खुले हैं। अखाड़े की परंपरांओं और सिद्धांतों का पालन करते हुए सभी संतों को राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। हमें आशा है कि बहुत जल्द कई और संत वास्तविकता से परिचित होते हुए अखाड़े में वापस आएंगे। निर्मल अखाड़े में शामिल हुए महंत सतनाम सिंह ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज व अखाड़े के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि निर्मल अखाड़ा निर्मल भेख का मूल स्थान है। अज्ञानतावश वे और कुछ अन्य संत भूरी वाले गुट के साथ चले गए थे। लेकिन वास्तविकता का ज्ञान होने पर वे वापस अखाड़े में शामिल हो गए हैं। सभी संत जीवन पर्यन्त अखाड़े की परंपराओं का पालन करते हुए मानव कल्याण में अपना योगदान प्रदान करेंगे। महंत हरदेव सिंह महाराज ने कहा कि श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह के नेतृत्व में निर्मल अखाड़ा दिन प्रतिदिन सेवा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। उनकी प्रेरणा और अशीर्वाद से वह सभी अब श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के तत्वाधान भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे। अखाड़े में शामिल होने वाले संतों में महंत दर्शन सिंह, महंत बलवीर सिंह, महंत जगमोहन सिंह, महंत परविन्दर सिंह, महंत अवतार सिंह, महंत हरविन्दर सिंह, महंत सुखजीत सिंह, महंत ब्रह्मस्वरूप सिंह, महंत रामानंद सिंह, महंत सुखप्रीत सिंह आदि संत मौजूद रहे। इस दौरान महंत खेमसिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत हरजोत सिंह, संत जसकरण सिंह, संत सुखमन सिंह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह, संत जरनैल सिंह, संत सिमरन सिंह, संत संदीप सिंह, संत शशीकांत सिंह, समाजसेवी देवेंद्र सिंह सोढ़ी मौजूद रहे।

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