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देश दुनिया में भारत का मान बढ़ा रहे संत महापुरूष- आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास

हरिद्वार, 25 नवम्बर। श्री बनखंडी साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि प्राचीन काल से आधुनिक भारत तक संत महापुरुष देश दुनिया में धर्म का प्रचार प्रसार कर भारत का मान बढ़ा रहे हैं और महापुरुषों के तपोबल से ही विश्व में भारत की एक अलग पहचान है। भूपतवाला स्थित श्री साधुबेला सेवा आश्रम ट्रस्ट में श्रद्धालु भक्तों को संत भक्ति का सार समझाते हुए आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों के माध्यम से व्यक्ति परमात्मा की शरण में पहुंचता है और उसे सांसारिक ज्ञान का बोध होता है। क्योंकि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। जो ईश्वर की भावनाएं होती हैं। जो ईश्वर के सारे उद्देश्य होते हैं एवं ईश्वर जिन अच्छाई एवं भावनाओं से जुड़ा होता है। वह सब संत महापुरुषों में निहित होती है। संतो के जीवन में समाज भी यही खोजता है। आचार्य स्वामी गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि संत स्वयं को केवल समाज के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए मानवता के लिए और संपूर्ण प्राणियों के लिए समर्पित कर सब के विकास को गति देते हैं। जिस प्रकार लोकतंत्र प्रतिनिधि तंत्र है। ठीक वैसे ही संतों का समाज भी ईश्वर का प्रतिनिधि तंत्र है। उसके सभी उद्देश्य इच्छाओं लीलाओं एवं क्रियाओं को संत महापुरुष समाज कल्याण के लिए प्रयुक्त करते हैं। वास्तव में आंतरिक उत्कर्ष ही संतत्व का लक्षण है। संत का कर्म कभी स्वार्थ के अनुरूप नहीं होता। हमेशा परमार्थ के अनुरूप होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को संतो के शरणागत होकर अपने जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। संतों के सानिध्य में व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। जिससे वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होकर स्वयं को सफल बनाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तमाम ऐसी विकृतियां थी। जो समाज को बांट रही थी। संत महापुरुषों के ज्ञान के प्रकाश से आज समाज से कुरीतियां समाप्त हो रही है और समस्त राष्ट्र में एकता और अखंडता कायम हो रही है। इस दौरान स्वामी बलराम मुनि, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, एवं सूरत गुजरात से आए मोहन भाई , नंदू भाई, अनिल भाई, मोंटी भाई, आशुतोष भाई , करण आदि उपस्थित रहे।

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