विक्की सैनी
हरिद्वार, 17 अक्टूबर। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है और यज्ञ योग की विधि है। जो परमात्मा द्वारा ही हृदय से संपन्न होती है। शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिवस पर भूपतवाला स्थित नरसिंह धाम यज्ञशाला में 51 ब्राह्मणों द्वारा विश्व शांति हेतु आयोजित यज्ञ में सम्मिलित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक प्रवृत्ती के लोगों को सत्य प्रयोजन के लिए संगठित करना ही यज्ञ का प्रमुख उद्देश्य है। यज्ञ से निकलने वाला धुंआ जहां जहां आवरण बनाता है। वहां का सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। यज्ञ काल में उच्चारित पुनीत शब्द ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर लोगों के अंतःकरण को सात्विक व शुद्ध बनाती है। उन्होंने कहा कि ईश्वरीय कृपा से ही कोरोना महामारी से जल्द देश दुनिया निजात मिलेगी। और प्रत्येक घर में खुशहाली लौटेगी। स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि मां भगवती के आशीर्वाद से विश्व में सकारात्मक ऊर्जा और नवीन शक्ति का संचार हो इस हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया है। समता, बंधुत्व और समरता की भावना का विकास हो। और लोककल्याण का पथ प्रशस्त हो। उन्होंने कहा कि संतों द्वारा किए गए धार्मिक अनुष्ठानों से विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। क्योंकि संतों का संपूर्ण जीवन मानवता की रक्षा हेतु समर्पित रहता है। महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि यज्ञ विधि द्वारा श्रद्धालु भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं। हवन में प्रयुक्त प्रदार्थ वायुभुत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त करते हुए उनके स्वास्थ्यवर्द्धन व रोग निवारण में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि वेद मंत्रोच्चारण द्वारा ज्ञान को अग्नि रूपी सत्य में डाल दिया जाता है। तब इस कर्म का प्रभाव अलग हो जाता है। अग्नि उस ज्ञान को संसार में प्रकाशित कर अंधकार को दूर करती है। श्रद्धालु भक्तों के घरों में यश और वैभव का आगमन होता है। सभी को पावन नवरात्रों के अवसर पर मां की शरण में आकर उनकी आराधना करनी चाहिए। तभी व्यक्ति भवसागर से पार हो सकता है। इस अवसर पर साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी वैष्णवी जयश्री, महंत जानकीदास, महंत वीरेश्वर दातार आदि उपस्थित रहे।