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उदयनिधि स्टालिन पर बरसे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष, संत समिति के महामंत्री व विहिप अध्यक्ष


नई दिल्ली। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्रीमहंत महंत रवींद्र पुरी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती तथा विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने नई दिल्ली में संयुक्त रूप से पत्रकारों से वार्ता करते हुए उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को दिए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निंदा की है।


वक्ताओं ने कहाकि हाल के दिनों मंें कांग्रेस, डीएमके और सीपीआई के नेताओं ने शाश्वत सनातन धर्म के विरोध में अभद्र भाषा में बयान दिये हैं। सनातन धर्म की तुलना मच्छर और डेंगू से की गयी है। यह भी कहा गया है कि सनातन धर्म का केवल विरोध नहीं करेंगे बल्कि इसे धरती से समाप्त कर देंगे।


यह प्रलाप लगभग एक साथ शुरू हुआ। इसमें आई.एन.डी.आई.ए के तीन बड़े राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। उदय निधि स्टालिन ने तो इस बात को दोहराया है कि वह अपने बयान पर कायम है। निश्चय ही यह एक सोची समझी साजिश है।


कहा कि गाली-गलौच भरे यह वक्तव्य अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए समाज को बांटने और विभिन्न वर्गों में एक दूसरे के प्रति घृणा और शत्रुता बढ़ाने के बेईमान प्रयास हैं। वोट बैंक राजनीति में नीचे गिरकर केवल सत्ता प्राप्त करने के लिए किसी भी सीमा तक यह लोग जा सकते हैं।
कहाकि यह चुनौती उन सब लोगों के लिए है जो संविधान और स्वस्थ लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। यह एक बीमार मानसिकता है, जो समझती है कि बहुसंख्य धार्मिक समुदाय की आस्थाओं पर चोट करके, उसके प्रति घृणा और अविश्वास का वातावरण पैदा करने से अल्पसंख्यक समुदाय के समूह वोट इकट्ठा होकर इन दलों की झोली भर देंगे। भारत विभिन्नता में एकता और सब धार्मिक विश्वासों का आदर करने वाला देश है। हमारा निश्चित मत है कि लोकतंत्र और शुचिता में विश्वास रखने वाला भारतीय समाज ऐसे लोगों को समुचित उत्तर देगा।


वक्ताओं ने कहाकि सनातन धर्म प्रत्येक जीव के अंदर विराजमान ईश्वर के दर्शन करता है। वह मनुष्य मात्र की दिव्यता और समानता में विश्वास रखता है। सर्वे भवन्तु सुखिनः की प्रार्थना करने वाला भारतीय समाज मनुष्य की गरिमा के आधार पर समाज में एकत्व और शांति का सशक्त आधार है।


सनातन धर्म चिरंजीवी है। 800 सालों का मुगलों का आक्रमण, अकथनीय अत्याचार, 200 साल का चतुर अंग्रेजों का शासन और मिशनरियों के प्रयासों के बावजूद आज भी भारत का बहुसंख्य समाज सनातन धर्म मे विश्वास रखता है। इसका विरोध करने वाले लोग इतिहास के कूड़ेदान मंे पाये जाते हैं।


कहा कि तमिलनाडु हमेशा से सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक रहा है। तमिलनाडु की धर्म प्राण जनता रामेश्वरम, माता मीनाक्षी, दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश, मुरूगन, राम और कृष्ण की हमेशा से आराधक है। हजारों वर्ष पुराने मंदिर सनातन के प्रति तमिलनाडु की सनातन भक्ति के प्रतीक हैं। आलवारों, नायनमारो, संत तिरुवल्लुवर, अंडाल आदि महान संतों की अमर वाणी तमिलनाडु की धर्म प्राण जनता का ही नहीं करोड़ सनातनियों का चिरकाल से मार्गदर्शन करती रही है। यह हमारी सांझी विरासत है।


कहा कि आज आवश्यकता है कि इस सांझी विरासत को मजबूत करें। परस्पर एकता बढ़ाने वाले बिन्दुओं को ढूँढे। समाज की एकात्मता को मजबूत करें। भारत की पवित्र आध्यात्मिक थाती का विश्व में प्रसार कर सबके लिए सुख और शांति का मार्ग प्रशस्त करें।

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