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आर्थिक कमजोर, संसाधन-साधनहीन बच्चों के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगा एबीकेएम

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (एबीकेएम) कि मंगलवार को हुई राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक में रखा गया प्रस्ताव

अभियान को सफल बनाने के लिए प्रसाद (PRASAD) का मंत्र दिया गया। पी से प्लानिंग, आर से रिव्यू, ए से एक्शन, एस से सॉल्यूशन एंड डी से डिलीवरी

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय कार्य परिषद कि मंगलवार को हुई वर्चुअल बैठक में समाज के कमजोर तबके, आर्थिक कमजोर और संसाधन-साधनहीन बच्चों के लिए राष्ट्र के स्तर पर रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने का प्रस्ताव रखा गया। बैठक में शामिल कार्य परिषद के सभी सदस्यों ने इसका समर्थन किया और अपना अनुमोदन दिया। बताया गया कि इस कार्य योजना को अमल में लाने के लिए करीब तीन माह का समय लगेगा इस दौरान सभी आवश्यक संबंधित कार्य पूर्ण किए जाएंगे साथ ही बच्चों का चयन भी किया जाएगा। आरंभ में यह कार्य योजना कर्नाटक राज्य से बतौर पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ की जाएगी। सफल होने पर बाद में इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा। कोशिश रहेगी कि इस श्रेणी में आने वाले सभी बच्चों को निश्शुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। इसके लिए आवश्यक धन और संसाधन की व्यवस्था इस कार्य में जुड़े समाजसेवी संस्था के कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर से एकत्र कर करेंगे। इसके साथ ही बैठक में यह भी तय किया गया कि महासभा के सदस्य संख्या को आगे बढ़ाने के लिए सदस्यता अभियान में तेजी लाई जाए। कहा गया कि इसके लिए सभी सदस्य अपने यहां ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिले और उन्हें महासभा के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दें और उसे जोड़ें। अभियान को सफल बनाने के लिए महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा दक्षिण भारत के अध्यक्ष अनिमेष बिसारिया ने प्रसाद (PRASAD) का मंत्र दिया। उन्होंने बताया कि इसमें पी से प्लानिंग, आर से रिव्यू, ए से एक्शन, एस से सॉल्यूशन एंड डी से डिलीवरी। कहाकि प्रसाद के मंत्र से हम अपने लक्ष्य में अवश्य सफल होंगे। संकल्प लिया गया कि प्रसाद रूपी इस मंत्र से समाज सेवा के इस अभियान को हर हाल में सफल बनाया जाएगा। अनिमेष बिसारिया ने ‘आपका साथ, एबीकेएम का विकास’ का नारा भी दिया।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के परिवार सदस्य अभियान से इन लोगों को जोड़कर सदस्य संख्या को बढ़ाया जाए। सबसे महत्वपूर्ण बात आज की बैठक की यह रही कि सभी सदस्यों ने एक स्वर में यह मांग उठाई कि गैर राजनीतिक संगठन होने के बावजूद हमें अपने समाज की शक्ति को पहचानना होगा और शासन संस्था के शीर्ष पर बैठे लोगों को इससे अवगत कराना होगा। कहा गया कि पूर्व का अनुभव बताता है कि गैर राजनीतिक होने के कारण देश की सर्वाधिक पढ़ी-लिखी कम होने के बावजूद राजनीतिक दलों ने अपने-अपने निहित स्वार्थ के चलते इस हाशिए पर डालने का काम किया है। इसलिए अपने वजूद को कायम रखने को हमें अपनी ताकत न सिर्फ पहचानी होगी बल्कि एकता के साथ इस दूसरों को भी जताना होगा।


बैठक में मिले सुझाव के अनुसार यह भी तय किया गया कि महासभा के राज्य स्तरीय संगठन के साथ-साथ जिला स्तरीय संगठन को तेजी के साथ विकसित किया जाए और अधिक से अधिक लोगों को इसमें जोड़ा जाए। इसके लिए तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया और सदस्यता हासिल करने तथा सदस्यता हासिल करने के तुरंत बाद सदस्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की व्यवस्था ऑनलाइन किए जाने का सुझाव दिया गया, जिस पर जल्द से जल्द अमल करने की सहमति बनी। इसी तरह महासभा के राष्ट्रीय स्तर के कोष की स्थापना की भी चर्चा हुई और इस पर महासभा के राष्ट्रीय संगठन तथा प्रबंध कार्यकारिणी से चर्चा के बाद निर्णय लेने की बात कही गई। बैठक में बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों के करीब दो दर्जन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। भाग लेने वालों में प्रमुख रूप से चंदन सिन्हा, अनिमेष बिसारिया, ए. कुमार, उदिता मंडल, मनोज सहाय, मनीष कुमार, विजय कुमार श्रीवास्तव, अशोक खरे, अमन श्रीवास्तव, मुकेश कुमार, पप्पू श्रीवास्तव, शंभू प्रसाद और सुभाष चंद्र श्रीवास्तव आदि प्रमुख रहे।

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