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देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सभी संप्रदाय के लोगों को एक मंच पर आना होगा -स्वामी गर्व गिरी

हरिद्वार, 30 अक्तूबर। हिंदू रक्षा सेना के जिला प्रभारी एवं जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी महाराज ने कहा है कि धर्म के संरक्षण संवर्धन में संत महापुरुषों की अहम भूमिका रही है और राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। श्यामपुर कांगड़ी स्थित बाबा वीरभद्र सेवा आश्रम ट्रस्ट में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में कुछ असामाजिक तत्वों के चलते भारत की एकता अखंडता में दरार डालने की कोशिश की जा रही है। ऐसे व्यक्तियों के मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए सभी संप्रदाय एवं धर्म के लोगों को एक मंच पर आना होगा। हिंदू रक्षा सेना समय-समय पर राष्ट्रहित एवं हिंदू हितों से जुड़े मुद्दों को समाज के समक्ष रखती है और किसी भी व्यक्ति की कोई भी समस्या का समाधान करने के लिए हमेशा तत्पर है। कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहा कि देश के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए। बढ़ती आबादी के कारण लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही बढ़ती आबादी पर्यावरण संरक्षण के लिए भी भविष्य में एक बड़ा खतरा साबित होगी। देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए भी जनसंख्या नियंत्रण अति आवश्यक है। हिंदू रक्षा सेना केंद्र सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द देश में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाया जाए। महंत मनोहर पुरी महाराज ने कहा कि दुनिया में संत महापुरुषों के कारण भारत का एक अलग स्थान है और धर्म के संरक्षण संवर्धन में संतो की अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी को धर्म और संस्कृति के बारे में जानने की आवश्यकता है। साथ ही एकजुट होकर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर किया जाए। इसके लिए भी युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। हिंदू रक्षा सेना के माध्यम से बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी धर्म के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निभा रही है। महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज वयोवृद्ध अवस्था में भी भारत की एकता को कायम रखने में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। जो संत समाज के लिए गौरव की बात है।

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