हरिद्वार, 11 अप्रैल। नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाहदेव नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज एवं आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना की। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने नेपाल नरेश का फूल माला पहनाकर और माता की चुनरी ओढ़ा कर स्वागत किया। केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण, जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी सहित सभी संतों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि हिंदू राष्ट्र नेपाल और भारत के संबंध छोटे बड़े भाई जैसे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाहदेव का कुंभ मेले के दौरान धर्मनगरी में आगमन अवश्य ही दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाहदेव के भारत आकर हरिद्वार में आयोजित हो रहे कुंभ मेले में शामिल होना दोनों देशों के लिए एक विशेष अवसर है। दोनों देशों में अनेक धार्मिक समानताएं हैं। हिंदू राष्ट्र नेपाल के प्रतिनिधि नेपाल नरेश के भारत आगमन से दोनों देशों के धार्मिक व सांस्कृतिक संबंध और मौजूद होंगे। उन्होंने कहा कि मां गंगा की कृपा व संत महापुरूषों के आशीर्वाद से नेपाल प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होगा। नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाहदेव ने संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे पहली बार हरिद्वार आए हैं। कुंभ के विशेष अवसर पर हरिद्वार में गंगा स्नान व श्री दक्षिण काली मंदिर में पूजा अर्चना तथा संत महापुरूषों का आशीर्वाद प्राप्त कर वे स्वयं को धन्य महसूस कर हैं। आचार्य बालकृष्ण व जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भारत ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान व सांस्कृतिक परंपरांओं से हमेशा ही दुनिया का मार्गदर्शन किया है। इससे प्रभावित होकर पश्चिमी देशों के लोग सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं। इस अवसर पर बाबा हठयोगी, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरी, महामण्डलेश्वर राहुलेश्वरानन्द गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, महामण्डलेश्वर तेजेशानन्द गिरी, महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी, महामण्डलेश्वर संतोषी माता, श्रीमहंत ओंकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, महंत मनीष भारती, दिगंबर बलबीर पुरी, स्वामी ज्योर्तिम्यानंद, संघ प्रचारक पदम सिंह, आचार्य पवनदत्त मिश्र, स्वामी अविन्तकानन्द ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानन्द ब्रह्मचारी आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत मौजूद रहे।
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