भगवान श्री कृष्ण की पवित्र वाणी ही श्रीमद् भागवत है – आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास
हरिद्वार। साधु बेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान पुष्प वर्षा कर कृष्ण आराधना की। इस दौरान श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अपरंपार है। श्रीकृष्ण की लीलाओं के दर्शन के लिए भगवान शिव को भी गोपियों का रूप धारण करना पड़ा था। भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र वाणी ही श्रीमद् भागवत है। हम सभी को उनके आदर्शपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास में श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान भक्तों का कल्याण करता है। इसलिए सभी को श्रीमद् भागवत की पवित्रता से अपने अंतःकरण को शुद्ध करना चाहिए। कथा व्यास योगाचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि जिस स्थान पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो जाता है। वह सदैव के लिए पूजनीय रहता है। संतो के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर जन्म-जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर ही प्राप्त होता है। सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उनका जीवन भवसागर से पार लगाते हैं। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि प्रतिवर्ष जगत कल्याण हेतु पूज्य स्वामी जी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जाता है। कथा व्यक्ति के विचारों में बदलाव कर उसका जीवन बदल देती है। भागवत का ज्ञान व्यक्ति को चरित्रवान बनाता है। वास्तव में कलयुग में मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है।
इस दौरान गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील सिंह, जगदीश नवानी, सुदामा भवनानी, अमरलाल कुकरेजा, लालचंद, जगदीश भाटिजा, सोनु शर्मा उपस्थित रहे।