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भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की धरोहर है कुंभ मेला – स्वामी रविदेव शास्त्री

विक्की सैनी

हरिद्वार, 21 फरवरी। युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा है कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की धरोहर है जिसके दौरान गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है भक्त के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होकर जीवन भवसागर से पार हो जाता है। मध्य हरिद्वार स्थित डॉ स्वामी श्याम सुंदर भवन में संत समागम को संबोधित करते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि कुंभ मेला दुनियाभर में किसी भी धार्मिक प्रयोजन हेतु भक्तों का सबसे बड़ा संग्रहण है। कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा का आशीर्वाद और संतों के सानिध्य से श्रद्धालु अनंत काल तक धन्य हो जाते हैं और उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि युगो युगो के पाप कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा का आचमन मात्र से धुल जाते हैं मेला प्रशासन और संत महापुरुषों के समन्वय से कुंभ मेला भव्य एवं पारंपरिक रूप से संपन्न होगा उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु यात्री कोविड नियमों का पालन अवश्य करें। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि कुंभ का पर्व भारतीय संस्कृति को दर्शाने का सबसे अच्छा माध्यम है। कुंभ जिसे पर्व को स्वीकार कर प्रत्येक श्रद्धालु भक्तों को हरिद्वार आगमन कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए उन्होंने कहा कि मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है तो गुरु का आशीर्वाद आवश्यक है गुरु का सानिध्य और पतित पावनी मां गंगा का तट सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व कुंभ मेला पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान बनाता है मेले के दौरान संत महापुरुष और नागा सन्यासी मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। आशीर्वाद लेकर लाखों श्रद्धालु भक्त अपने जीवन को सफल बनाते हैं। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का समाजसेवी संजय वर्मा ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान स्वामी दिनेश दास, स्वामी रामानंद ब्रह्मचारी, महंत सुतीक्षण मुनि, डॉ0 पदम प्रसाद, डॉ लोकनाथ, महंत निर्मल दास, महंत श्रवण मुनि, महंत दुर्गादास, बाबा हठयोगी, महंत प्रह्लाद दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत अरुण दास, महंत लोकेश दास, महंत प्रेमदास, महंत विष्णु दास, महंत श्याम प्रकाश सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष मौजूद रहे।

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