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गुरु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समग्रता का आधार हैं-स्वामी ऋषि रामकृष्ण

हरिद्वार, 23 जुलाई। निर्धन निकतेन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा है कि अज्ञान का नाश कर ज्ञान का मार्ग दिखाने वाले गुरू ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर है। वही परब्रह्म है। गुरु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समग्रता का आधार हैं। गुरुकृपा के अभाव में साधना की सफलता संदिग्ध ही बनी रहती है। खड़खड़ी स्थित आश्रम में गुरूपूर्णिमा पर्व पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी ऋषि रामकिशन महाराज ने कहा कि साधना के मार्ग में आने वाले अवरोधों एवं विक्षोभों के निवारण में गुरु का असाधारण योगदान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने गुरू शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए संपूर्ण जगत को ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित किया। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि गुरू ही शिष्य को अंतःकरण को जागृत कर ज्ञान की प्रेरणा देते हैं। गुरू से मिले इस अनुदान को शिष्य अपनी आंतरिक श्रद्धा के रूप में उठाता है। जिस शिष्य में आदर्शों एवं सिद्धांतों के प्रति जितनी अधिक निष्ठा होगी, वह गुरु के अनुदानों से उतना ही अधिक लाभान्वित होगा। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी एवं महंत शिवानंद भारती महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा ही भारत को महान बनाती है। संतों के तप बल से पूरे विश्व में भारत का एक अलग स्थान है। ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज एक विलक्षण संत थे। जिनके कृपापात्र शिष्य स्वामी रामकृष्ण महाराज उनके बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए मानव सेवा में योगदान कर रहे हैं और देश दुनिया में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर युवा पीढ़ी को संस्कारवान बना रहे हैं। इस दौरान महंत शिवशंकर गिरी, स्वामी राजेंद्रानंद, महंत जसविन्दर सिंह, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत प्रेमदास स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महामण्डलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत दामोदर दास, महंत सुमित दास, स्वामी केशवानंद, संत जगजीत सिंह, संत मंजीत सिंह, सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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