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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिया स्वामी कैलाशानंद गिरी से आशीर्वाद

हरिद्वार, 18 मई। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की और निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज से आशीर्वाद लिया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को माता की चुनरी व नारियल भेंटकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आशीर्वाद प्रदान किया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री काल में प्रदेशवासियों को अनेकों सौगातें मिली हैं। प्रदेश हित व विकास में उनकी विकासवादी सोच के चलते ही प्रदेश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि देवभूमि की मान मर्यादाओं को ध्यान में रखकर राज्य की सरकारें अपने कर्तव्यों को निभा रही हैं। कुंभ जैसे आयोजनों को सफलतापूर्वक करना सरकार की बड़ी उपलब्धि है। कोरोना काल में सरकार बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधाएं राज्य वासियों को प्रदान कर रही हैं। मिलजुल कर कोरोना की जंग को जीतना है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के नेतृत्व में भाजपा को और अधिक मजबूती प्राप्त हो रही है। उनके अनुभव का लाभ पार्टी व कार्यकर्ताओं को मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अध्यात्म को देश दुनिया में प्रचारित प्रसारित करने का काम संत महापुरूषों द्वारा ही किया जाता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज संत समाज के गौरव हैं और सनातन पंरपरांओं को देश दुनिया में प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं। मदन कौशिक ने कहा कि स्वामी कैलाशानंद गिरी को सरकार द्वारा वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी है। संत महापुरूषों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है। संत महापुरूष भारत की गौरवशाली परंपरांओं को दुनिया में प्रचारित कर रहे है। विदेशी नागरिक भी भारतीय परंपरांओं को अपना रहे हैं। कोरोनाकाल में संत समाज सरकार का भरपूर सहयोग कर रहा है। कोरोना की इस जंग में संत समाज निर्णायक भूमिका निभा रहा है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने पर निंरजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओंकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, दिगम्बर रघुवन, स्वामी आशुतोष पुरी, म.म.स्वामी प्रबोधानंद गिरी, कृष्णानंद ब्रह्मचारी, अवन्तकानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवनदत्त मिश्र, श्रीमहंत साधनानंद आदि संतों ने हर्ष व्यक्त किया है।

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